एम्स भोपाल के हैप्पीनेस सेंटर से छात्रों और मरीजों के जीवन में सकारात्मक बदलाव

भोपाल: 02 अगस्त 2025
एम्स भोपाल, अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में समग्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर नवाचार कर रहा है। इसी क्रम में दिनांक 4 अगस्त 2023 को “सेंटर ऑफ हैप्पीनेस, एम्स भोपाल” की स्थापना की गई, जिसने अब तक छात्रों, शिक्षकों, पुराने रोगों से पीड़ित मरीजों और उनके देखभालकर्ताओं के लिए कई महत्वपूर्ण “हैप्पीनेस आधारित कार्यक्रम” आयोजित किए हैं। एमबीबीएस सत्र अगस्त 2023 के पहले वर्ष के छात्रों के लिए फाउंडेशन कोर्स के दौरान आयोजित परिचयात्मक कक्षा में विद्यार्थियों को प्रसन्नता के महत्व से अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्त, “हैव द करेज टू बी हैप्पी – द थिएटर ऑफ द ओप्रेस्ड” नामक एक रोचक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने शारीरिक भाषा और नाट्यशैली के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति और भावनात्मक समस्याओं से निपटने की विधा सीखी। यह तकनीक विश्व स्तर पर समुदायिक शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए प्रयुक्त होती है। सेंटर ने बचपन के कैंसर से पीड़ित बच्चों, उनके देखभालकर्ताओं और ब्रेस्ट कैंसर से उबर चुकी महिलाओं के लिए भी विशेष हैप्पीनेस सत्र आयोजित किए। ये कार्यक्रम उनके मानसिक तनाव को कम करने और भावनात्मक संबल प्रदान करने में सहायक सिद्ध हुए।
इसी श्रृंखला में, सेंटर ऑफ हैप्पीनेस द्वारा “हैप्पीनेस: द फॉरगॉटन ऐस्पेक्ट एंड द साइंस ऑफ हैप्पीनेस” विषय पर एक सीएमई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आईआईटी खड़गपुर के रेखी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर साइंस ऑफ हैप्पीनेस के चेयरमैन डॉ. सतिंदर सिंह रेखी द्वारा “हू इज रनिंग योर लाइफ – यू और योर मंकी ब्रेन?” विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान दिया गया। उन्होंने सकारात्मक सोच के महत्व और उसके जीवन तथा कार्य प्रदर्शन पर प्रभाव को रेखांकित किया। इस अवसर पर एम्स भोपाल के सेंटर ऑफ हैप्पीनेस और रेखी फाउंडेशन ऑफ हैप्पीनेस के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए, जो आगे चलकर अकादमिक सहयोग को मजबूती देगा और प्रसन्नता के वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देगा।
एम्स भोपाल में सेंटर ऑफ हैप्पीनेस के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा— “चिकित्सक, मेडिकल छात्र और पैरामेडिक्स अत्यधिक मानसिक तनाव में कार्य करते हैं। प्रसन्नता का वैज्ञानिक दृष्टिकोण उन्हें आत्मबल प्रदान करता है, आशावादी दृष्टिकोण विकसित करता है और उनके जीवन व कार्य में संतुलन लाता है। यह पहल न केवल समय की मांग है, बल्कि अत्यंत आवश्यक भी है।” कार्यपालक निदेशक ने इस तरह के शैक्षणिक एवं मनोवैज्ञानिक विकास पर आधारित कार्यक्रमों के आयोजन की सराहना की।