राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान एम्स भोपाल ने बढ़ाई जनजागरूकता, परिवारों को सिखाया पौष्टिक आहार का महत्व

भोपाल: 11 अक्टूबर 2025
एम्स भोपाल ने देशभर में 12 सितंबर से 11 अक्टूबर 2025 मनाए जा रहे राष्ट्रीय पोषण माह में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह के लिए पाँच प्रमुख थीम निर्धारित की गई थीं– (1) मोटापा नियंत्रण: कम तेल, कम चीनी, कम वसा, (2) प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा, (3) एक पेड़ माँ के नाम, (4) शिशु एवं बाल आहार प्रथाएँ — विशेष रूप से स्तनपान, पूरक आहार, स्वच्छता और एनीमिया की रोकथाम, तथा (5) परिवार के पोषण में पुरुषों की भागीदारी।
एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग की स्मार्ट यूनिट (सीवियर एक्यूट मलन्यूट्रिशन एडवांस्ड ट्रीटमेंट एंड रिसर्च यूनिट) ने इस अवसर पर जागरूकता फैलाने हेतु विविध गतिविधियाँ आयोजित कीं। महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को पोषण के प्रति जागरूक किया गया तथा स्थानीय खाद्य पदार्थों का उपयोग करते हुए परिवार और बच्चों के लिए पौष्टिक व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया।
एनएचएम मध्य प्रदेश के सहयोग से राज्यभर के पोषण पुनर्वास केंद्रों में कार्यरत पोषण प्रशिक्षकों और नर्सिंग स्टाफ के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पोषण प्रशिक्षक वर्ग में डॉ. संगीता मालू, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, इंदौर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया; सुश्री प्रसन्ना श्रीवास्तव, एनआरसी शामगढ़, मंदसौर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया; तथा सुश्री मीनू शर्मा, एनआरसी कैलारस, मुरैना ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। नर्सिंग स्टाफ वर्ग में प्रथम स्थान सुश्री नीतू पवार, एनआरसी–जिला अस्पताल, इंदौर को मिला; द्वितीय स्थान सुश्री हेमलता सोनी, एनआरसी मानसा, नीमच को प्राप्त हुआ; तथा तृतीय स्थान सुश्री उषा झा, एनआरसी नरवर, शिवपुरी को प्राप्त हुआ।
9 अक्टूबर 2025 को एक आउटरीच गतिविधि के तहत ग्रामीण शासकीय माध्यमिक विद्यालय, अमरावत खुर्द, भोपाल में स्मार्ट यूनिट के स्टाफ ने विद्यार्थियों, अभिभावकों और ग्रामवासियों को संतुलित भोजन, स्वच्छता और बीमारियों से बचाव के उपायों की जानकारी दी।
स्मार्ट यूनिट की नोडल अधिकारी प्रो. (डॉ.) भावना ढींगरा ने कहा कि बच्चों के पोषण और देखभाल में पुरुषों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। पिता और पुरुष सदस्यों की सक्रिय भूमिका न केवल बच्चों के शारीरिक विकास को बढ़ाती है, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि जब पुरुष परिवार के पोषण, देखभाल और स्वास्थ्य संबंधी निर्णयों में भाग लेते हैं, तो परिवार में समग्र स्वास्थ्य और सामंजस्य में उल्लेखनीय सुधार देखा जाता है।
बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शिखा मलिक ने कहा कि जनभागीदारी के बिना स्वस्थ और सुपोषित भारत का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता, इसलिए ऐसी आउटरीच गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस पोषण माह के आयोजनों में डॉ. इंद्रेश कुमार (कार्यक्रम समन्वयक), सुश्री प्रिया जिजू (एएनएस), डॉ. अजय वैध (जेआर), श्री सुनील कुमार टेलर (एसएनओ), सुश्री निधि (क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट/नैदानिक पोषण विशेषज्ञ) और सुश्री जयश्री (फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर/आहार प्रदर्शनकर्ता) ने सक्रिय भूमिका निभाई।




