एम्स भोपाल ने “सामाजिक मनोरोग विज्ञान के दृष्टिकोण से वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य के पहलू” विषय पर सार्वजनिक संगोष्ठी का आयोजन किया

भोपाल: 09 जुलाई 2025
एम्स भोपाल अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के गतिशील नेतृत्व में चिकित्सा उत्कृष्टता को सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जोड़ते हुए अनेक सराहनीय पहलों का संचालन कर रहा है। इसी क्रम में मनोरोग विभाग, एम्स भोपाल द्वारा भारतीय सामाजिक मनोरोग संघ (IASP), कॉलेज ऑफ नर्सिंग, एम्स भोपाल एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) के सहयोग से “सामाजिक मनोरोग की दृष्टि से वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य के विविध आयाम” विषय पर एक जन संगोष्ठी सह सामुदायिक गतिविधि का सफल आयोजन किया गया। यह प्रभावशाली कार्यक्रम 9 जुलाई 2025 को अवृति भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल में आयोजित हुआ। संगोष्ठी का उद्देश्य वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य के बहुआयामी पहलुओं को उजागर करना तथा उनके मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक मुद्दों के समाधान में सामाजिक मनोरोग (Social Psychiatry) की भूमिका को रेखांकित करना था। इस संगोष्ठी में अनेक प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह मुख्य अतिथि के रूप में तथा IGRMS के कार्यालय प्रमुख डॉ. एस.के. पांडे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। एम्स भोपाल के मनोरोग विभागाध्यक्ष एवं आयोजन अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विजेंदर सिंह ने कहा, “वृद्धजन अक्सर दीर्घकालिक शारीरिक रोगों, संज्ञानात्मक क्षीणता, मानसिक रोगों, उपेक्षा, दुर्व्यवहार और अकेलेपन जैसी समस्याओं से जूझते हैं। सामाजिक मनोरोग की समग्र और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि अपनाकर उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सकता है।” कार्यक्रम की शुरुआत नर्सिंग विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत एक विचारोत्तेजक प्रदर्शनी से हुई। प्रो. (डॉ.) विजेंदर सिंह ने स्वागत भाषण देकर संगोष्ठी की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की, वहीं डॉ. स्नेहिल गुप्ता (एसोसिएट प्रोफेसर, मनोरोग विभाग एवं आयोजन सचिव) ने कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
अपने उद्बोधन में प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करना केवल चिकित्सकीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक दायित्व भी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों, सामाजिक संस्थानों और समुदाय के बीच संवाद को बढ़ावा देकर हम एक ऐसा सक्षम तंत्र बना सकते हैं, जो हमारे बुजुर्ग नागरिकों के लिए गरिमा, देखभाल और सहयोग सुनिश्चित करे। मैं इस संवेदनशील पहल के लिए मनोरोग विभाग और सभी सहयोगी संस्थाओं की सराहना करता हूं।” कार्यक्रम की विशेष गतिविधियों में “मूवीज़ और आर्ट्स में वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर एक अनूठी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने रचनात्मक माध्यमों से विषय की विविध व्याख्याएं प्रस्तुत कीं। साथ ही, व्यक्तिगत अनुभव साझा करने वाले प्रतिभागियों (PwLE) द्वारा प्रस्तुत अनुभवों ने कार्यक्रम को अत्यंत प्रासंगिक और संवेदनशील बनाया। संगोष्ठी के अंतिम चरण में “वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य: सामाजिक मनोरोग दृष्टिकोण” विषय पर एक विशेष पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों – डॉ. सु्कुमार (संकाय, जेरियाट्रिक क्लिनिक, एम्स भोपाल), डॉ. तनमय जोशी (मनोचिकित्सक, एम्स भोपाल), डॉ. शरद तिवारी (संयुक्त संचालक, मानसिक स्वास्थ्य, NHM, मध्यप्रदेश), डॉ. विनीत कपूर (DIG, कम्युनिटी पुलिसिंग, PHQ भोपाल), और डॉ. अनंत भान (प्रमुख अन्वेषक, सांगत) ने अपने विचार साझा किए। इस सामुदायिक गतिविधि का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को जेरिएट्रिक मानसिक स्वास्थ्य पर एक विचारशील चर्चा में शामिल करना और बुजुर्गों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यावहारिक समाधानों की खोज करना था।