भोपालमध्य प्रदेशराज्यस्वास्थ्य

संवाद से समाधान: एम्स भोपाल ने दिया आत्महत्या रोकथाम का संदेश

दिनांक: 10 सितंबर 2025

मुख्य बिंदु 

एम्स भोपाल के मनोचिकित्सा विभाग ने “आत्महत्या पर विमर्श बदलें” विषय पर सीएमई आयोजित की।

प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने आत्महत्या रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास और समग्र कल्याण पर बल दिया।

विद्यार्थियों की समस्याओं को समझने हेतु एम्स भोपाल ने मेंटोर-मेंटी कार्यक्रम शुरू किया।

कार्यक्रम में भारत में छात्र आत्महत्या से जुड़ी रणनीतियों और नीतिगत दृष्टिकोण पर चर्चा हुई।

एम्स भोपाल में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (10 सितम्बर 2025) के अवसर पर मनोचिकित्सा विभाग द्वारा “आत्महत्या पर विमर्श बदलें” विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संरक्षक प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार महापात्रा, माननीय अध्यक्ष, एम्स भोपाल रहे तथा प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर, कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ, एम्स भोपाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी (डीन, अकादमिक), डॉ. बालकृष्णन एस. (डीन, छात्र कल्याण), प्रो. (डॉ.) अमित अग्रवाल (डीन, नर्सिंग एवं पैरामेडिक्स), प्रो. (डॉ.) विकास गुप्ता (प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक) शामिल रहे। इस वर्ष का विषय “आत्महत्या पर विमर्श बदलें” आत्महत्या जैसे जटिल विषय को नई दृष्टि से देखने का आह्वान करता है। इसमें समाज में खुलेपन, सहानुभूति और सहयोग की संस्कृति विकसित करने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में आत्महत्या रोकथाम के लिए नीति-निर्माण, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने और अनुसंधान आधारित हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर चर्चा हुई। विशेष सत्र “भारत में छात्र आत्महत्या: हस्तक्षेप रणनीतियाँ एवं नीतिगत दृष्टिकोण” पर केंद्रित रहा। एम्स भोपाल ने विद्यार्थियों के कल्याण के लिए मेंटोर-मेंटी कार्यक्रम भी प्रारंभ किया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक संकाय सदस्य को दस विद्यार्थियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि वे उनसे नियमित संवाद कर सकें, उनकी समस्याओं को समझ सकें और आवश्यक मार्गदर्शन व सहयोग प्रदान कर सकें। इस पहल का उद्देश्य एक खुले और सहयोगी वातावरण का निर्माण करना है, जिसमें विद्यार्थी अपनी चिंताओं को सहजता से साझा कर सकें।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने आत्महत्या रोकथाम के लिए सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया। उन्होंने माइंडसेट, हार्टसेट, हेल्थसेट और सोलसेट को संतुलित जीवन के लिए आवश्यक बताया। विद्यार्थियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा, “हमें अपने विद्यार्थी जीवन की स्वतंत्रता का सदुपयोग करना चाहिए, परिवार और मित्रों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए, डिजिटल दुनिया में कम समय देना चाहिए, एक-दूसरे की आलोचना करने के बजाय संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।” प्रो. (डॉ.) विजेन्दर सिंह, विभागाध्यक्ष, मनोचिकित्सा, एम्स भोपाल आयोजन अध्यक्ष रहे और डॉ. आशीष पाखरे, सहयोगी प्राध्यापक, मनोचिकित्सा, एम्स भोपाल आयोजन सचिव रहे। साथ ही “अनकहे शब्द” विषय पर रील मेकिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। अपने उद्बोधन में प्रो. (डॉ.) विजेन्दर सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं पर खुलकर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हर आत्महत्या का प्रयास मदद की पुकार है” और यह संदेश समाज में व्यापक रूप से फैलाना चाहिए। इसमें संकाय सदस्यों, रेज़िडेंट डॉक्टरों, पीएचडी शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। यह कार्यक्रम आत्महत्या रोकथाम हेतु प्रभावी रणनीतियों पर विमर्श और जागरूकता फैलाने में एक सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!