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मप्र में अवैध ड्रग्स का कारखाना, पुलिस को भनक नहीं, दिल्ली डीआरआई ने किया भंडाफोड़

92 करोड़ रुपये कीमत की 61.2 किलोग्राम जब्त; सात गिरफ्तार

भोपाल: 18 अगस्त 2025

एक महत्त्वपूर्ण खुफिया सूचना के आधार पर, राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में एक गुप्त मेफेड्रोन मैन्युफैक्चरिंग कारखाने का, एक सुनियोजित और समन्वित ऑपरेशन, जिसका कोड नाम “ऑपरेशन क्रिस्टल ब्रेक” था, सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किया। इस ऑपरेशन के दौरान सूरत और मुंबई पुलिस ने भी डीआरआई का सहयोग किया।

डीआरआई ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर छापे मारे और इस गिरोह के सात प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया।

16.08.2025 को, ग्राम-जगदीशपुर (इस्लामनगर), हुजूर-तहसील, जिला-भोपाल, मध्य प्रदेश स्थित अवैध निर्माण इकाई की तलाशी में 61.20 किलोग्राम मेफेड्रोन (तरल रूप में) बरामद और जब्त किया गया, जिसकी अवैध बाजार में कीमत ₹92 करोड़ आंकी गई। इसके अतिरिक्त, 541.53 किलोग्राम कच्चा माल, जिसमें मेथिलीन डाइक्लोराइड, एसीटोन, मोनोमेथिलमाइन (एमएमए), हाइड्रोक्लोरिक एसिड (एचसीएल), और 2-ब्रोमो शामिल हैं, के साथ-साथ प्रसंस्करण उपकरणों का एक पूरा सेट भी जब्त किया गया।

एकांत परिसर में जानबूझकर चारों ओर से ढके हुए कारखाने पर डीआरआई अधिकारियों ने चतुराई से छापा मारा। मेफेड्रोन बनाने वाले केमिस्ट समेत दो लोग को अवैध उत्पादन प्रक्रिया में लिप्त पाया गया।

तत्परतापूर्वक की गई कार्रवाई में, ड्रग कार्टेल के एक प्रमुख शख्स को बस्ती, उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किया गया, जिसे भिवंडी (मुंबई) से भोपाल तक कच्चे माल की आपूर्ति की देख-रेख का काम सौंपा गया था। अवैध रूप से रसायन/ कच्चा माल उपलब्ध कराने वाले दो आपूर्तिकर्ताओं को भी मुंबई में गिरफ्तार किया गया, साथ ही मुंबई से भोपाल तक रसायनों/ कच्चे माल के परिवहन के लिए जिम्मेदार शख्स को भी गिरफ्तार किया गया।

शुरुआती जांच से यह भी पता चला है कि सूरत और मुंबई से हवाला के जरिए भोपाल में पैसा भेजा जा रहा था। पैसे के लेन-देन के लिए जिम्मेदार कार्टेल के एक करीबी सहयोगी को भी सूरत में गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार किए गए सभी सात लोगों ने भारत में मेफेड्रोन नेटवर्क के एक विदेशी संचालक और सरगना के निर्देश पर मेफेड्रोन के गुप्त निर्माण में अपनी-अपनी भूमिका को स्वीकार किया।

मेफेड्रोन, एक मनोविकार नाशक पदार्थ है जो स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के अंतर्गत सूचीबद्ध है। यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा है क्योंकि इसमें मनो-सक्रिय गुण होते हैं और माना जाता है कि यह कोकीन और एम्फैटेमिन के सेवन जैसा असर पैदा करता है।

यह पिछले एक साल में डीआरआई की ओर से बर्बाद की गई छठा गुप्त मेफेड्रोन कारखाना है। डीआरआई मादक दवाओं का निर्माण करने वाली अवैध फैक्ट्रियों को ध्वस्त करने और उनके मास्टरमाइंडों तथा इसमें शामिल अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की तलाश में लगातार सक्रिय है।

कांग्रेस का आरोप मप्र पुलिस कहां है??

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मप्र में अवैध ड्रग्स के कारखाने कभी गुजरात ATS तो कभी दिल्ली DRI कार्यवाही करके ड्रग्स के कारखाने का भंडाफोड़ करती है पर मप्र प्रशासन और पुलिस को इन अवैध कारखानों की कोई जानकारी तक नहीं होती। कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ नजर आती है लगता है कि माफियाओं और प्रशाशन में सांठगांठ है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना सत्ता संरक्षण ये अवैध धंधे कैसे फल फूल सकते है और सरकार से मांग की इन सबकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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