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मछली की करोड़ों की हवेली ध्वस्त, जानिए मछली परिवार की पूरी कहानी

जानिए कैसे बनाया साम्राज्य, फिर केवल एक गलती और अर्श से फर्श पर

भोपाल: 21 अगस्त 2025

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मछली परिवार के साम्राज्य का ‘आख़िरी किला’ भी गुरुवार को ध्वस्त कर दिया गया। ड्रग्स तस्करी के आरोपी मछली परिवार की सरकारी जमीन पर बने 22 करोड़ के तीन मंजिला मकान पर बुलडोज़र चलाया गया। बताया जा रहा है कि शारिक अहमद उर्फ मछली, सोहेल अहमद, शफीक अहमद पिता शरीफ अहमद की यह कोठी है। भोपाल के आनंदपुर कोकता इलाके के वार्ड नंबर 62 में मछली परिवार का साम्राज्य था।

200 करोड़ से ज्यादा के सरकारी जमीन पर चला था अतिक्रमण

23 दिन पहले मछली परिवार के 200 करोड़ से ज्यादा के सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पर बुलडोजर चला था। एमडी ड्रग पैडलर यासीन अहमद उर्फ मछली शाहवर अहमद उर्फ मछली के परिवार के सदस्य हैं। यासीन शाहवर पर ड्रग तस्करी, महिलाओं के यौन शोषण और युवकों की बेरहमी से पिटाई कर अड़ीबाजी करने के आरोप लगे थे।

मछली परिवार का लंबे समय से अपराध जगत में सक्रिय

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मछली परिवार का नाम लंबे समय से राजधानी भोपाल के अपराध जगत में सक्रिय रहा है। यासीन शाहवर उर्फ मछली पर ड्रग्स तस्करी, महिलाओं के यौन शोषण, रंगदारी वसूली और युवाओं की बेरहमी से पिटाई जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं। मछली परिवार के अन्य सदस्य शारिक, सोहेल और शफीक अहमद भी अवैध गतिविधियों से जुड़े बताए जाते हैं। आनंदपुर कोकता इलाके में मछली परिवार का दबदबा इतना गहरा था कि इसे उनका “साम्राज्य” कहा जाता था।

कौन है ‘मछली’ परिवार और कैसे बने ये इतने बड़े माफिया!!

आइए जानते हैं कुछ तथ्य:–

संक्षेप:

1970 से पहले शरीफ अहमद बुधवारा में रहता था और मछली का आढ़तिया था फिर शरीफ हथाईखेड़ा शिफ्ट हुआ और मछली पालने का ठेका हासिल किया।

1980:– शुरुआत में नेताओं के साथ घुलना मिलना और उन्हें विभिन्न प्रकार से मदद करके उनका भरोसा जीता और उसी भरोसे के आधार पर अवैध जमीनों पर कब्जा किया और धीरे-धीरे मुस्लिमों की बस्ती बसाना शुरू की। पत्थर खदानों से अवैध खनन शुरू किया।

2000:– गणेश पूजा और दुर्गा पूजा के पंडाल के लिए चंदा और देवी जागरण के आयोजन के जरिए हिंदुओं का भरोसा जीतना शुरू किया।

2005-2010:– हथाईखेड़ा और रायसेन रोड के आसपास जमीनें अलॉट कर की उन पर कॉलेज बनाए और इन्हीं कॉलेजों के जरिए युवाओं और नई उमर के बच्चों को बहला फुसला कर उन्हें गलत काम के लिए प्रेरित करना।

2010:–नई उमर के बच्चों को पार्टी के जरिए लुभाने और फिर उन्हें मादक पदार्थों की लत लगवाना, कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए फ्रेशर्स पार्टियों का आयोजन। क्रिकेट टूर्नामेंट करा कर युवाओं को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करना।

2011:– पहले जमीनें कब्जाई या कहे खरीदी औने पौने दामों पर फिर अवैध कॉलोनियां काटी और बसाई। फिर धीरे धीरे खनन में और ट्रांसपोर्ट में अवैध कमाई का जरिए अच्छी खासी कमाई की।

विस्तार:

*मछली परिवार की शुरुआत* 

भोपाल के बुधवारा में शरीफ अहमद ने मछली के आढ़तिए के रूप में अपना कारोबार लगभग 70 के दशक में शुरू किया था। धीरे-धीरे सभी लोग शरीफ अहमद को शरीफ मछली कहने लगे। 70 के दशक में शरीफ अहमद ने अपने कारोबार को धीरे धीरे बढ़ाना प्रारंभ किया। पहली बार शरीफ अहमद को हथाईखेड़ा डैम में मछली पकड़ने का ठेका मिला। इसके बाद शरीफ अहमद ने इस डैम पर लगभग पूरी तरह से कब्जा कर लिया।

शरीफ अहमद को साल दर साल हथाईखेड़ा बांध में मछली पकड़ने का ठेका मिलने लगा। परिवार ने रहने का दूसरा ठिकाना हथाईखेड़ा डैम को बना लिया। साल 1980 तक अनंतपुरा हथाईखेड़ा बांध के पास एक 8-10 घरों का टोला था। चारों ओर छोटे झाड़ के जंगल और हथाईखेड़ा डैम के पानी के अलावा यहां कुछ नहीं था। फिर धीरे धीरे वहां अवैध निर्माण होने लगे और देखते देखते एक पूरा मोहल्ला खड़ा कर दिया गया। 10 हजार वर्ग फीट की कोठी और आसपास भाइयों के घर बन कर तैयार हो गए।

*डैम से 100 मीटर दूर अवैध रूप से बनाया फार्म हाउस*

चाचा-भतीजे के पकड़े जाने के बाद प्रशासन ने मछली परिवार के अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई की। प्रशासन ने करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बने फार्म हाउस, वेयर हाउस, फैक्ट्री और मकान को तोड़ा गया। अधिकारियों ने एक कोठी को सील किया। साथ ही जंगल के अंदर एक बड़े फार्म हाउस को तोड़ने की कार्रवाई भी की गई।

इस आलीशान फार्म हाउस में स्विमिंग पुल समेत शान-ओ-शौकत का महंगा सामान मौजूद था। फार्म हाउस का निर्माण हताई खेड़ा डैम से 100 मीटर के दायरे में ही किया गया था। फार्म हाउस तक जाने वाली सड़क डैम के पानी को छू रही थी।

*खुद बसे, कर्मचारियों को भी बसाना शुरू किया* 

जब मछली परिवार ने अनंतपुरा में अपना मकान बनाया तो उन्होंने अपने कर्मचारियों को भी सरकारी जमीन पर बसाना शुरू कर दिया। यहां पहले जल संसाधन यानी नहर विभाग के दो-चार कर्मचारियों के ही मकान थे। जिस इलाके में चुनिंदा हिंदू परिवार रहते थे, वहीं कुछ सालों में सैकड़ों मुस्लिम परिवार रहने लगे। वर्तमान में यहां 3200 से ज्यादा मकान हैं।

यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि करीबी नेताओं की शह पर मछली परिवार ने पहले लोगों से कब्जे कराए, फिर सरकारी जमीन पर प्लॉट काटकर बेच दिए। यहां मछली परिवार की हवेली के अलावा 8 से 10 मकान हैं। हवेली के ठीक सामने मछली परिवार की शह पर एक आलीशान मस्जिद का निर्माण हो रहा है।

*हर भाई ने अलग-अलग नेताओं को साधा*

जब अनंतपुरा में आबादी बढ़ गई तो यह इलाका नेताओं के लिए भी अहम हो गया। खास बात यह थी कि यह इलाका मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी का हो चुका था और यहां मछली परिवार का सिक्का चलता था। ज्यादा आबादी होने के चलते नगर निगम चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक ये नेताओं के लिए अहम वोट बैंक में तब्दील हो गया।

मछली परिवार ने भी नेताओं को वोटबैंक का लालच देकर अपने साम्राज्य को बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी। खास बात है कि राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए परिवार ने क्षेत्र के मुताबिक अलग-अलग नेताओं को साधना शुरू कर दिया। अपनी इसी राजनीतिक पहुंच के जरिए मछली परिवार ने स्थानीय से लेकर राज्य के बड़े नेताओं से नजदीकियां बढ़ाईं।

*ऐसे हुआ मछली परिवार के ड्रग्स कारोबार का खुलासा* 

18 जुलाई को भोपाल पुलिस ने सैफुद्दीन और शाहरुख नाम के दो ड्रग पैडलर्स को पकड़ा था। ये दोनों शहर के विभिन्न क्लबों और पार्टियों में एमडी (मेथामफेटामाइन) पाउडर की सप्लाई करते थे। पूछताछ के बाद पता चला था कि आरोपी पार्टी, क्लब और जिम के जरिए युवाओं को फिटनेस और पार्टी कल्चर के नाम पर ड्रग्स का आदी बनाते थे।

लड़कियों को पहले मुफ्त में नशा करवा कर उनका शोषण किया जाता, ताकि वे क्लब पार्टियों का आकर्षण केंद्र बन सकें। इनसे 15 ग्राम एमडी पुलिस ने जब्त किया था। इन दोनों ड्रग पैडलर्स ने पुलिस के सामने चाचा-भतीजे के कारनामों का खुलासा किया था। इसी के बाद पुलिस ने इन दोनों को पकड़ा।

*फार्म हाउस में होती थी पूल पार्टी,*

डीजे नाइट यासीन मछली के मोबाइल से कई पार्टियों के वीडियो मिले हैं। वह खुद एक डीजे था और पार्टी ऑर्गनाइज्ड करता था। वह शहर से दूर फार्म हाउस या पार्क में पार्टियों का आयोजन करता था। ऐसी पार्टियों में यासीन युवाओं को ड्रग डिलीवरी का काम करता था। 2 अगस्त को भी एक डांस पार्टी होने वाली थी। इसमें भी ड्रग्स की सप्लाई होनी थी।पूछताछ में पता चला कि पार्टी में ड्रग के एक डोज की कीमत दस हजार रुपए तय की गई थी। पार्टी को लेकर यासीन अहमद ने पोस्टर जारी कर रखा था। इसका बड़े पैमाने पर प्रमोशन किया जा रहा था।

यासीन महीने में दो से तीन इसी तरह की पार्टी आर्गेनाइज किया करता था। जिससे वह एंट्री फीस से ही लाखों रुपए कमाता था। उसके हर गुनाह में चाचा शाहवर उसका बराबरी का हिस्सेदार होता था।

*चाचा-भतीजे के पकड़े जाने के बाद सामने आ रहे पीड़ित* 

यासीन और शाहवर मछली के पकड़े जाने के बाद अब लगातार पीड़ित सामने आ रहे हैं। अब तक अलग-अलग थानों में 13 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इनमें अपहरण, मारपीट और शारीरिक शोषण की शिकायतें हैं….

*परेशान होकर शहर छोड़ा, फिर कराई FIR* 

यासीन मछली की गिरफ्तारी के बाद एक युवती ने एमपी नगर थाने पहुंचकर उसके खिलाफ शादी का झांसा देकर बलात्कार का मामला दर्ज कराया है। 29 वर्षीय युवती ने बताया कि करीब 2 साल पहले एक क्लब में उसकी जान-पहचान यासीन से हुई थी।

यासीन ने युवती को मिलने एमपी नगर स्थित एक होटल में बुलाया और शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया। उसके बाद से वह लगातार उसका शारीरिक शोषण करता रहा। इससे परेशान होकर पीड़िता दूसरे शहर में जाकर नौकरी करने लगी थी।

*स्टूडेंट ने की अपहरण, लूट की शिकायत* 

यासीन मछली के खिलाफ एक स्टूडेंट ने भी अपहरण लूट और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया है। पीड़ित स्टूडेंट ने कोहेफिजा थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। कॉलेज स्टूडेंट के मुताबिक यासीन और उसके दो साथियों ने उनका अपहरण किया और मारपीट कर उन्हें लूट लिया था।

*चाचा के खिलाफ भी बलात्कार की शिकायत* 

यासीन के चाचा शाहवर के खिलाफ भी एक नाबालिग ने रेप की शिकायत की है। नाबालिग के मुताबिक शाहवर से सोशल मीडिया के जरिए पहचान हुई थी। उसके बाद उससे एक लाउंज में मुलाकात हुई। शुरुआत में वह बहुत विनम्रता दिखाता और सलीके से पेश आता था। उसने आर्थिक मदद भी की थी। एक दिन पंजाबी बाग स्थित घर में उसने रेप किया। ये सिलसिला 2018 से 2020 तक चलता रहा।

 *रसूख बनाने के लिए नेताओं का सहारा लेते थे*

ईद पर मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक हवेली तक आते थे। इनके साथ फोटो खिंचवाते थे।

नेताओं का आना-जाना शुरू हुआ तो अफसर भी घर आने लगे। गाड़ियों में विधानसभा के पास लगाकर घूमते, ताकि प्रभाव दिखा सकें। देवी जागरण और दुर्गा पंडालों में मोटा चंदा देते थे।कॉलेजों के नए स्टूडेंट्स के लिए कैंपस से बाहर पार्टी का आयोजन करते। नेताओं की रैलियों में स्टूडेंट्स के जरिए भीड़ बढ़ाने का काम करते। नेताओं से पहचान का हवाला देकर जमीनों पर कब्जे किए। सत्ता से करीब होने का रौब दिखाते।

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