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एम्स भोपाल का अध्ययन- खिलौनों के चयन में पर्यावरणीय पहलू को नजरअंदाज कर रहे हैं अभिभावक

भोपाल: 09 अगस्त 2025

एम्स भोपाल के नर्सिंग महाविद्यालय में एमएससी पीडियाट्रिक नर्सिंग की छात्रा प्रगति कुमारी ने संस्थान के प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि अधिकांश अभिभावक बच्चों के लिए खिलौने चुनते समय उनके पर्यावरणीय प्रभाव को बहुत कम महत्व देते हैं। माता-पिता जहां कीमत, टिकाऊपन, दृश्य आकर्षण और सुरक्षा जैसे पहलुओं को प्राथमिकता देते हैं, वहीं पर्यावरण-अनुकूल (इको-फ्रेंडली) खिलौनों का चयन अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यह अध्ययन 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए खिलौनों के चयन को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान पर केंद्रित था। यह भोपाल के बरखेड़ा पठानी क्षेत्र में किया गया, जिसमें सुविधाजनक नमूनाकरण के माध्यम से कुल 251 अभिभावकों को शामिल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि खिलौनों के चयन में माता-पिता के लिए प्रमुख कारक थे – कीमत (66.9%), टिकाऊपन (56.6%), दृश्य आकर्षण (48.2%), आयु उपयुक्तता (45.4%), सुरक्षा संबंधी चिंताएं जैसे छोटे पुर्जे या नुकीले किनारे (43.4%), सौंदर्यात्मक मूल्य (37.8%), बच्चे की क्षमताएं (36.7%) और उसकी रुचियां (34.7%)। विकासात्मक और शैक्षिक पहलुओं में शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना (34.3%) और सामाजिक मेलजोल (32.7%) भी शामिल थे। हालांकि, केवल 64.1% मामलों में ही पर्यावरणीय प्रभाव को प्राथमिकता दी गई, जो दर्शाता है कि अधिकांश अभिभावक इस पहलू को गंभीरता से नहीं लेते। अन्य कारकों में बच्चे का लिंग (33.1%), खिलौने की लोकप्रियता (33.5%) और आकार (32.3%) का प्रभाव अपेक्षाकृत कम था। माता-पिता के निर्णय बच्चे की आयु, लिंग, स्वयं माता-पिता की आयु, घर में निर्णय लेने वाला व्यक्ति, बच्चों की संख्या, पारिवारिक संरचना और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे पहलुओं से भी प्रभावित पाए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निष्कर्ष न केवल अभिभावकों के लिए, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और खिलौना निर्माताओं के लिए भी उपयोगी हैं। उनका कहना है कि यदि खिलौनों के चयन में पर्यावरणीय दृष्टिकोण को भी शामिल किया जाए, तो यह न केवल बच्चों के सुरक्षित और स्वस्थ विकास में सहायक होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।

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