
भोपाल/ नई दिल्ली: 2 जुलाई 2025
बीजेपी के 14 प्रदेश अध्यक्ष चुने जा चुके हैं, जबकि 12 प्रदेश अध्यक्षों के लिए चुनाव चल रहे हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में रवींद्र चह्वाण, मध्य प्रदेश में हेमंत खंडेलवाल, तेलंगाना में एन रामचंद्र राव, हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल, उत्तराखंड में महेश भट्ट को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं अब सवाल है कि बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? उसके साथ चर्चा में ये सवाल भी है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी का अध्यक्ष का जिम्मा किसे सौंपा जाएगा।
*राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए संभावित नामों पर नजर*
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जिन संभावित नामों पर चर्चा की जानकारी है, उनमें ज्यादातर केंद्रीय मंत्रियों के नाम हैं, मनोहरलाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान, और भूपेंद्र यादव जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं। अब सवाल है कि इनमें से ही किसी के सिर पर ताज सजेगा या कोई छुपा रुस्तम है। जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक इतना साफ है कि नए अध्यक्ष के चयन में आरएसएस की पसंद की भूमिका होगी, वैसे व्यक्ति को कमान मिलेगी, जिसमें संगठन और सरकार में तालमेल बिठाने की क्षमता हो. उसकी प्राथमिकता संगठन को मज़बूत करना हो और 2029 के लोकसभा चुनाव तक संगठन को मजबूत बना सके।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के हिसाब से बीजेपी के पास कुल 37 प्रदेश अध्यक्ष होते हैं. जिनमें से 19 के प्रदेश अध्यक्ष चुने हुए हों तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। अब तक करीब-करीब 26 राज्यों में अध्यक्ष चुन लिए गए हैं या एक दो दिन में चुन लिए जाएंगे. लेकिन असली लड़ाई उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में है।
कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा एक बार फिर लिंगायत वोटों की ताकत दिखाकर अपने बेटे विजयेंद्र को ही अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। जिसके कारण बात फंसी हुई है. क्योंकि विजयेंद्र की सबसे बडी़ योग्यता यही है कि वो येदियुरप्पा के बेटे हैं।
*उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पर काफी निर्भर होगा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव*
असली लड़ाई उत्तर प्रदेश में है, यूपी में प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन ओबीसी चेहरों पर चर्चा हुई, उनमें पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा आते हैं। दोनों लोध बिरादरी से संबंधित हैं, ओबीसी चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी ज्योति निरंजन और राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के नाम पर भी चर्चा चल रही है। इनके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद के तौर पर दो नामो की चर्चा जोरो पर हैं, जिनमें जलशक्ति मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देवसिह हैं, तो ब्राह्मण चेहरे के रूप दिनेश शर्मा बताए जा रहे है। जबकि दलित समाज से पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया के साथ विद्यासागर सोनकर और विनोद सोनकर के नाम भी चर्चा है।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार 2024 के लोकसभा नतीजों के बाद पार्टी आलाकमान किसी ओबीसी को ही प्रदेश अध्यक्ष दांव लगा सकती है। यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी के लिए इसलिए भी अहम है कि विधानसभा का चुनाव बस डेढ़ साल की दूरी पर खड़ा है।