भोपालमध्य प्रदेशराज्यस्वास्थ्य

एम्स भोपाल के संबंध में समाचार पत्रों में चल रही भ्रामक/असत्य रिपोर्टों के संदर्भ में

भोपाल: 07 जुलाई 2025

(क) संस्थान स्पष्ट करता है कि वर्ष 2022 में केवल दो दर संविदाएं (narcotics और चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों के लिए) और पांच समझौता ज्ञापन (MoUs) एम्स भोपाल द्वारा अमृत फार्मेसी, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, बंगाल केमिकल्स, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स और जन औषधि के साथ की गई थीं, जो औषधियों और उपभोग्य सामग्रियों की आपूर्ति हेतु थीं। दिनांक 30 जून 2025 तक, एम्स भोपाल की सेंट्रल फार्मेसी ने अपनी खरीद प्रक्रिया को उल्लेखनीय रूप से विस्तारित किया है, और वर्तमान में 38 दर संविदाएं (जिनमें मौखिक दवाएं/टैबलेट्स, इंजेक्टेबल्स/पैरेंटरल, आई.वी. फ्लूइड्स, सर्जिकल सूचर, नारकोटिक्स तथा कैंसर दवाओं सहित उपभोग्य सामग्री शामिल हैं) और 5 मौजूदा MoUs (अमृत फार्मेसी, HAL, बंगाल केमिकल्स, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स और जन औषधि) हैं। यह संस्थान के किसी एकल PSU या कंपनी पर निर्भरता को कम करने की निरंतर और सजग प्रयासों का परिणाम है। यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि अमृत फार्मेसी के साथ किया गया MoU वर्ष 2017 से ही एम्स भोपाल में प्रभावी है, जो कि प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के कार्यपालक निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने से काफी पहले का है। जब तक पारदर्शी निविदा प्रक्रिया द्वारा पर्याप्त दर संविदाएं परिपक्व नहीं हो गई थीं, तब तक अमृत फार्मेसी (जो कि एक सरकारी एजेंसी है) से औषधियों की खरीद पूर्व डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन), तत्कालीन मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, वित्त और स्टोर्स के सुझावों एवं विचार-विमर्श के पश्चात की गई थी। कार्यवृत्तों में यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि दर संविदाओं पर निरंतर बल दिया जाना है, भले ही 4000-5000 चिकित्सा संबंधी आवश्यक वस्तुओं के लिए दर संविदाएं बनाने की प्रक्रिया समयसाध्य हो। यह भी उल्लेखनीय है कि अमृत फार्मेसी को दिए गए ऑर्डर केवल उन्हीं वस्तुओं के लिए थे जो कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (KAPL), हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स, बंगाल केमिकल्स और अन्य मौजूदा दर संविदाओं के तहत उपलब्ध नहीं थीं। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि एम्स भोपाल का अमृत फार्मेसी द्वारा निर्धारित औषधियों की दरों पर कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि यह केंद्र सरकार की नीति के अधीन है और एम्स भोपाल तथा अमृत फार्मेसी के मध्य हुए MoU में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है। उक्त MoU के अनुसार, अमृत फार्मेसी यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि वह निर्धारित रियायत के साथ न्यूनतम (L1) दरों पर दवाएं उपलब्ध कराए। जब भी दरों में किसी प्रकार की अनियमितता या परिवर्तन की जानकारी संस्थान को प्राप्त हुई, एम्स भोपाल द्वारा अमृत फार्मेसी को कई बार पत्र लिखे गए और तत्पश्चात कार्यपालक निदेशक एवं CEO द्वारा वर्तमान मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसने औषधियों की दरों की समग्र समीक्षा कर रिपोर्ट मंत्रालय और अमृत फार्मेसी को प्रस्तुत की है। अमृत फार्मेसी का संचालन एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड द्वारा किया जाता है, जो कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक पूर्णतः सरकारी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSU) है। अतः, एम्स भोपाल और अमृत फार्मेसी के बीच यह MoU किसी भी प्रकार से सार्वजनिक धन की हानि नहीं करता तथा यह निर्णय सामूहिक विचार-विमर्श के बाद लिए गए थे।

(ख) एम्स भोपाल और डायग्नोस्टिक सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसी HLL हिंद लैब्स (जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक मिनी रत्न CPSU है) के बीच किया गया MoU, केंद्र सरकार द्वारा तैयार की जा रही एक नई नीति के कारण समाप्त हो गया है। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि HLL हिंद लैब्स के साथ MoU के दौरान कराए जा रहे अधिकांश टेस्ट अब भी एम्स भोपाल के संबंधित विभागों द्वारा संस्थान के इन-हाउस संसाधनों के माध्यम से कराए जा रहे हैं। केवल कुछ बहुत ही दुर्लभ और अनुसंधान-विशेष परीक्षण ही इसके बाहर हैं।

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