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रजोनिवृत्त महिलाओं में अवसाद एक अनदेखा लेकिन गंभीर स्वास्थ्य संकट

भोपाल: 28 जुलाई 2025

एम्स भोपाल अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में समावेशी और प्रमाण-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को निरंतर बढ़ावा दे रहा है। संस्थान विशेष रूप से समाज के उन वर्गों की जरूरतों पर केंद्रित है जो अकसर अनदेखे रह जाते हैं। इसी क्रम में एम्स भोपाल ने रजोनिवृत्त अवसाद (पोस्टमेनोपॉज़ल डिप्रेशन) जैसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण, परंतु प्रायः उपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे को रेखांकित किया है, जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि विश्वभर में लगभग 28% रजोनिवृत्त महिलाएं अवसाद का शिकार होती हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में यह स्थिति और भी गंभीर है। रजोनिवृत्त अवसाद के लक्षण अक्सर शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के होते हैं, जिससे इन्हें सामान्य उम्र बढ़ने या रजोनिवृत्ति के लक्षण समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लगातार उदासी, चिड़चिड़ापन, निराशा, जीवन के प्रति रुचि में कमी, आत्मसम्मान की कमी, निर्णय लेने में कठिनाई, थकावट, नींद और भूख में बदलाव, यौन इच्छा में गिरावट, सिरदर्द, शरीर में दर्द, सामाजिक अलगाव, आत्मग्लानि और गंभीर मामलों में आत्महत्या के विचार—ये सभी संकेत रजोनिवृत्त अवसाद की ओर इशारा करते हैं।

रजोनिवृत्त अवसाद का उपचार रोगी की मानसिक अवस्था, अन्य चिकित्सकीय स्थितियों और उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। फार्माकोथेरेपी के तहत एसएसआरआई (SSRI) और एसएनआरआई (SNRI) जैसी एंटीडिप्रेसेंट दवाएं मध्यम से गंभीर अवसाद के लिए प्रथम पंक्ति का उपचार मानी जाती हैं। हल्के अवसाद के मामलों में, खासकर जब अन्य रजोनिवृत्त लक्षण मौजूद हों, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) पर विचार किया जा सकता है। कई बार एंटीडिप्रेसेंट और हार्मोन थेरेपी का संयोजन भी प्रभावी सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक हस्तक्षेप भी अवसाद के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाते हैं। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT), विशेषकर उन महिलाओं के लिए अत्यंत प्रभावी है जो जीवन की सामाजिक या पारिवारिक चुनौतियों से जूझ रही हैं। इसके अलावा, सहायक परामर्श, समूह चिकित्सा, माइंडफुलनेस, योग और विश्रांति तकनीकें भी मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में सहायक हो सकती हैं।

इस गंभीर विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “रजोनिवृत्त अवसाद केवल एक मानसिक स्थिति नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्म-सम्मान, कार्यक्षमता और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली बहु-आयामी चुनौती है। एम्स भोपाल में हमारा प्रयास है कि हम इस मुद्दे पर व्यापक जागरूकता फैलाएं, प्रारंभिक जांच को बढ़ावा दें और रजोनिवृत्त महिलाओं को समग्र उपचार व सहयोग प्रदान करें।”

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