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एम्स भोपाल ने विधि छात्रों को कराया फॉरेंसिक प्रक्रियाओं का व्यावहारिक अवलोकन

भोपाल: 28 जून 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में संस्थान लगातार शैक्षणिक नवाचारों को प्रोत्साहित कर रहा है और विधि तथा स्वास्थ्य सेवाओं के समन्वय को नई दिशा दे रहा है। इसी क्रम में, मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अधीन प्रशिक्षु के रूप में कार्यरत 36 विधि छात्रों का एक दल एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग में शैक्षणिक भ्रमण पर आया। इस भ्रमण का उद्देश्य छात्रों को फॉरेंसिक चिकित्सा की कार्यप्रणाली, संरचना और मानवाधिकारों व विधिक प्रक्रिया में इसकी भूमिका से अवगत कराना था। कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) अरनीत अरोड़ा के स्वागत भाषण और परिचयात्मक सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया, संवेदनशील कानूनी कार्यप्रणालियों, दस्तावेज़ीकरण और रिपोर्टिंग की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन से विभाग में एनालिटिकल टॉक्सिकोलॉजी लैब और फॉरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब की स्थापना संभव हो सकी है। इसके साथ ही, SOPs आधारित कार्यप्रणाली जैसे अनेक नवाचारों को भी बल मिला है। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ. निरंजन साहू ने विभाग की कार्यप्रणाली, विभिन्न समन्वय प्रक्रियाओं और नैतिक पक्षों को लेकर विस्तृत जानकारी दी। वहीं, इंटरैक्टिव सत्र का संचालन डॉ. सुहैल अलिक्कल और डॉ. दीक्षा छाबड़ा ने किया। इस दौरान सुश्री अश्विनी, श्री अरुण और डॉ. तपेश ने भी प्रमुख रूप से सहयोग दिया। भ्रमण के दौरान छात्रों ने फॉरेंसिक म्यूज़ियम, एनालिटिकल टॉक्सिकोलॉजी कक्ष, फॉरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब, कोल्ड स्टोरेज, ऑटोप्सी रूम, रेडियोलॉजी इकाई और रिपोर्ट लेखन अनुभाग का निरीक्षण किया। उन्होंने शव पहचान, साक्ष्य संग्रहण, संक्रमण नियंत्रण और ‘चेन ऑफ कस्टडी’ की प्रक्रिया को भी व्यावहारिक रूप में जाना। छात्रों ने इस भ्रमण को अत्यंत ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि उन्होंने फॉरेंसिक चिकित्सा की भूमिका को न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवाधिकार संरक्षण के परिप्रेक्ष्य से भी समझा। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “एम्स भोपाल न केवल उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि विधि और मानवाधिकारों के क्षेत्र में भी संवेदनशील और जागरूक पेशेवरों को तैयार करने की दिशा में कार्य कर रहा है। फॉरेंसिक मेडिसिन न्याय और मानवाधिकार संरक्षण के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु है। ऐसे शैक्षणिक भ्रमण छात्रों में व्यावहारिक समझ को सशक्त करते हैं और उन्हें समाज के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाते हैं।”

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