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एम्स भोपाल ने मध्य प्रदेश में शुरू की भारत की सबसे उन्नत, ‘बिना सर्जरी’ वाली प्रोस्टेट उपचार तकनीक

भोपाल: 24 अक्टूबर 2025

एम्स भोपाल लगातार उन्नत चिकित्सा तकनीकों को अपनाते हुए प्रदेशवासियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। इसी क्रम में संस्थान ने ‘प्रोस्टेट आर्टरी एम्बोलाइजेशन (पीएई)’ नामक अत्याधुनिक प्रक्रिया की शुरुआत की है, जो बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी (BPH) (बढ़े हुए प्रोस्टेट) के उपचार के लिए एक क्रांतिकारी, सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है। यह प्रक्रिया बिना सर्जरी के प्रोस्टेट के आकार को घटाकर रोग के लक्षणों में उल्लेखनीय राहत प्रदान करती है।

एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी डायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश मलिक ने बताया कि यह प्रक्रिया अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन (AUA) और NICE यूके गाइडलाइंस द्वारा अनुमोदित है। यह सुविधा एम्स भोपाल के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट सेंटर में प्रारंभ की गई है।

प्रोस्टेट आर्टरी एम्बोलाइजेशन (पीएई) क्या है?

यह एक न्यूनतम आक्रामक तकनीक है, जिसमें प्रोस्टेट की रक्त आपूर्ति को कम या अवरुद्ध किया जाता है, जिससे उसका आकार घटता है और बिना सर्जरी के लक्षणों में राहत मिलती है। पारंपरिक सर्जरी के विपरीत, यह प्रक्रिया कलाई या जांघ की धमनी में एक सूक्ष्म छेद (पिनहोल) के माध्यम से की जाती है। उन्नत इमेजिंग तकनीक की सहायता से इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट सूक्ष्म कणों को प्रोस्टेट की धमनियों में प्रवाहित करते हैं, जिससे रक्त प्रवाह घटता है और प्रोस्टेट सिकुड़ता है।

सफलता की कहानी: जीवन में आया बदलाव

65 वर्षीय एक मरीज, जो बार-बार पेशाब आने, पेशाब करने में कठिनाई और कमजोर प्रवाह जैसी समस्याओं से परेशान था, ने एम्स भोपाल के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी सेंटर में पीएई प्रक्रिया कराई। उम्र और स्वास्थ्य कारणों से वह पारंपरिक सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं थे। डॉ. अमन कुमार द्वारा यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की गई और किसी प्रकार की जटिलता नहीं आई। कुछ ही सप्ताह में मरीज पूरी तरह लक्षणमुक्त हो गया और उसका जीवन सामान्य हो गया। यह उदाहरण दर्शाता है कि पीएई उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए भी एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है।

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