एम्स भोपाल के डॉक्टरों की अग्रणी पहल: बिना सर्जरी पुराना दर्द और डायबिटीज़ का इलाज

भोपाल: 27 सितंबर 2025
संक्षेप : प्रो. (डॉ.) संतोष वाकोड़े (प्रमुख, फिजियोलॉजी, एम्स भोपाल) ने फ्रैंकफर्ट में IUPS 2025 में क्रॉनिक लो बैक पेन के लिए टीएमएस थेरेपी पर आमंत्रित मौखिक सत्र प्रस्तुत किया। उनकी परियोजना, जिसे SERB (अब ANRF) द्वारा स्वीकृत किया गया, ने मध्यप्रदेश के किसी शासकीय संस्थान में पहली टीएमएस प्रयोगशाला (TMS Lab) स्थापित की। प्रो. (डॉ.) संदीप एम. हुलके ने डायबिटीज/हाईपरटेंशन में फिटनेस मूल्यांकन और नव-निदान डायबिटीज में कार्डियक ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के मार्कर्स पर दो पोस्टर प्रस्तुत किए। यह शोध डॉ. वाकोड़े, डॉ. राजय भारशंकर, डॉ. रचना पराशर और डॉ. अवियांश ठकरे के साथ सह-लेखक के रूप में किया गया।
एम्स भोपाल के शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के फैकल्टी सदस्यों ने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में आयोजित 40वें इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फिज़ियोलॉजिकल साइंसेज़ (IUPS 2025) कांग्रेस में अपने शोध कार्य प्रस्तुत कर संस्थान और देश का नाम गौरवान्वित किया। यह सम्मेलन प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित होता है और इसमें विश्वभर के प्रमुख शरीर क्रिया वैज्ञानिक एकत्रित हुए।
प्रो. (डॉ.) संतोष वाकोड़े, विभागाध्यक्ष फिज़ियोलॉजी, ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए संवेदी शरीर क्रिया विज्ञान (Sensory Physiology) श्रेणी में आमंत्रित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उनका व्याख्यान “इफेक्ट ऑफ रेपेटिटिव ट्रांसक्रैनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन इन पेशेंट्स विद लो बैक पेन” विषय पर आधारित था, जिसमें पुरानी कमर दर्द के उपचार हेतु नई पद्धति प्रस्तुत की गई। उनके शोध कार्य को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से सराहना मिली।
यह अभिनव परियोजना विज्ञान एवं अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड (SERB), भारत – जिसे अब ANRF के नाम से जाना जाता है – द्वारा स्वीकृत की गई थी। इसी परियोजना से मध्यप्रदेश के किसी शासकीय संस्थान में पहली बार टीएमएस प्रयोगशाला (TMS Laboratory) की स्थापना संभव हो पाई, जिसने गैर-आक्रामक न्यूरोमॉड्यूलेशन थेरेपी के क्षेत्र में नए द्वार खोले। इसके साथ ही, प्रो. (डॉ.) संदीप एम. हुल्के ने दो पोस्टर प्रस्तुत किए जिनके विषय थे: डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन में व्यायाम अनुपालन हेतु फिटनेस आकलन की भूमिका नव-निदानित डायबिटीज़ मेलिटस मरीजों में फिटनेस पैमानों का उपयोग कार्डियक ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी के सूचक के रूप में
यह शोध कार्य प्रो. (डॉ.) संतोष वाकोड़े, डॉ. राजय भारशंकर, डॉ. रचना पराशर और डॉ. अवियंश ठाकरे के साथ सहलेखित था। दोनों प्राध्यापकों ने अपनी उपलब्धि का श्रेय एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर को दिया और उनके निरंतर सहयोग व मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया।