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कोटा मंडल के सवाईमाधोपुर–हिण्डौनसिटी खंड में संरक्षा ऑडिट निरीक्षण, रेलवे टीम ने परखी सुरक्षा तैयारियाँ

वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने पुल, कर्व, समपार फाटक व स्टेशन यार्ड का किया गहन निरीक्षण, संरक्षा मानकों को बेहतर बनाने पर दिया जोर

भोपाल/कोटा: 16 सितम्बर 2025

पश्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय, जबलपुर के वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड स्तर के अधिकारियों की इंट्रा रेलवे संरक्षा ऑडिट टीम ने कोटा मंडल के सवाईमाधोपुर–हिण्डौनसिटी खंड में विभिन्न स्थलों पर संरक्षा ऑडिट निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का नेतृत्व प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री प्रवीण खोराना ने किया।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री सौरभ जैन ने बताया कि निरीक्षण के दौरान टीम ने मखोली–मलारना स्टेशनों के मध्य स्थित ब्रिज संख्या 343 डाउन, कर्व संख्या 66, लालपुर–उमरी–गंगापुरसिटी स्टेशनों के मध्य गंगापुरसिटी ट्रैक्शन सब स्टेशन, गंगापुरसिटी यार्ड में स्थित समपार फाटक संख्या 179/टी, गंगापुरसिटी स्टेशन, रिले रूम एवं कवच रूम का विस्तृत निरीक्षण किया।

इसके अतिरिक्त, पिलोदा–श्रीमहावीरजी स्टेशनों के मध्य स्थित थिक वेव एस.ई.जे., समपार फाटक संख्या 173/ई, हिण्डौनसिटी स्टेशन, प्वाइंट एवं क्रॉसिंग तथा एल.डब्ल्यू.आर. का भी बारीकी से निरीक्षण किया गया।

इस निरीक्षण में मुख्यालय के अधिकारी श्री जगराम मीना (मुख्य बिजली वितरण इंजीनियर), श्री राजेश दत्त वाजपेयी (मुख्य परिवहन योजना प्रबंधक), श्री आर.एस. बीका (मुख्य चालन शक्ति इंजीनियर – डी एण्ड डीएम), श्री प्रदीप कुमार (मुख्य इंजीनियर – आर.एस.डब्ल्यू), श्री वी.के. श्रीवास्तव (मुख्य सिगनल इंजीनियर), श्री पी. निम्बालकर (उप मुख्य संरक्षा अधिकारी – यांत्रिक) तथा श्री अंकित सिंघई (वरिष्ठ संरक्षा अधिकारी – सिगनल एवं दूरसंचार) सम्मिलित रहे।

कोटा मंडल से श्री योगेश कुमार मित्तल (अपर मंडल रेल प्रबंधक-2) एवं श्री गोरधन मीना (वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी/कोटा) भी उपस्थित रहे।

निरीक्षण के दौरान कोटा मंडल के अभियान्त्रिकी, यांत्रिक, संकेत एवं दूरसंचार, ट्रैक्शन (टीआरडी), विद्युत एवं परिचालन विभाग के शाखा अधिकारी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे।

ऐसे संरक्षा ऑडिट निरीक्षण भारतीय रेलवे में संरक्षा मानकों को बेहतर बनाने की सतत प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इन निरीक्षणों से न केवल रेल संपत्ति के रखरखाव और प्रणालीगत दोषों की पहचान होती है बल्कि दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु संसाधन और समाधान भी समय पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

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