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एम्स भोपाल ने इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) सीपीआर जागरूकता माह के तहत छात्रों को जीवनरक्षक प्रशिक्षण प्रदान किया

भोपाल: 19 जुलाई 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के के नेतृत्व में एम्स भोपाल निरंतर सामुदायिक स्वास्थ्य और आपातकालीन तैयारी के क्षेत्र में उल्लेखनीय पहल कर रहा है। इसी क्रम में, 14 जुलाई से 28 जुलाई तक मनाए जा रहे IAP CPR जागरूकता माह के तहत एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग एवं ट्रॉमा एवं आपातकालीन चिकित्सा विभाग द्वारा सिल्वर बेल्स कॉन्वेंट स्कूल, बागमुगलिया में कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए सीपीआर (हृदय-फेफड़ा पुनर्जीवन) पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों को यह समझाना था कि अचानक हृदय गति रुकने (Cardiac Arrest) की स्थिति में समय पर सीपीआर देना किस प्रकार जीवन बचा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, 70% से अधिक हृदयाघात घरों या सार्वजनिक स्थलों पर होते हैं, जहाँ तक चिकित्सा सहायता समय से नहीं पहुँच पाती। यदि सीपीआर पहले 3–5 मिनटों के भीतर दिया जाए, तो जीवित रहने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो सकती है।

भारत में यह दर वैश्विक औसत (10–12%) से भी कम है, जिससे ऐसे प्रशिक्षणों की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। इस सत्र में श्वसन मार्ग में रुकावट (चोकिंग) जैसी आकस्मिक घटनाओं के प्रबंधन पर भी बल दिया गया। हाइम्लिक तकनीक, पीठ पर प्रहार और छाती पर धक्का जैसे सरल लेकिन प्रभावशाली तरीकों को विद्यार्थियों को सिखाया गया। चोकिंग के कारण होने वाली आकस्मिक मृत्यु को रोकने में ये तकनीकें अत्यंत कारगर हैं, खासकर छोटे बच्चों में। यह प्रशिक्षण सत्र एम्स भोपाल के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा संचालित किया गया, जिसमें बाल रोग विभाग के प्रोफेसर, ट्रॉमा एवं आपातकालीन चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसर शामिल थे। विशेष रूप से, डॉ. गिरीश चंद्र भट्ट (प्रोफेसर, बाल रोग विभाग), डॉ. भूपेश्वरी पटेल (अतिरिक्त प्रोफेसर, ट्रॉमा एवं आपातकालीन चिकित्सा) और डॉ. बाबूलाल सोनी (सहायक प्रोफेसर, ट्रॉमा एवं आपातकालीन चिकित्सा) ने विद्यार्थियों को जीवनरक्षक तकनीकों का प्रदर्शन और अभ्यास करवाया। इनका सहयोग रेजिडेंट डॉक्टर, स्टाफ नर्स तथा तकनीकी कर्मियों ने किया। विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रदर्शन और संवादात्मक गतिविधियों में भाग लिया। एज-एप्रोप्रियेट मॉडल्स के माध्यम से प्रत्येक चरण को सरल भाषा में समझाया गया, जिससे विद्यार्थियों को गहन जानकारी मिली। सिल्वर बेल्स कॉन्वेंट स्कूल की प्राचार्य ने एम्स भोपाल की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों को उनके परिवारों और समाज में “फर्स्ट रिस्पॉन्डर” के रूप में सशक्त बनाते हैं, जिससे समाज को लाभ होता है। यह जन-जागरूकता कार्यक्रम इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की राष्ट्रव्यापी पहल का हिस्सा है, जिसका समापन 21 जुलाई को IAP राष्ट्रीय सीपीआर दिवस के रूप में होगा, जिसका उद्देश्य जन-सामान्य में सीपीआर के प्रति जागरूकता फैलाना और देश की आपातकालीन क्षमता को मजबूत बनाना है।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा: “एम्स भोपाल का उद्देश्य नई पीढ़ी को जीवनरक्षक कौशल से सुसज्जित करना है। जब बच्चों को सीपीआर और आपातकालीन प्रतिक्रिया की जानकारी दी जाती है, तो हम एक ऐसे समाज का निर्माण करते हैं जो न केवल जागरूक होता है बल्कि कठिन समय में सहायता करने को तत्पर रहता है। ऐसे कार्यक्रमों से हम युवाओं में स्वास्थ्य नेतृत्व की भावना का बीजारोपण कर रहे हैं।”

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