दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती एम्स भोपाल की प्रोस्थेटिक सेवा

भोपाल: 17 जुलाई 2025
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान द्वारा दिव्यांगजनों के पुनर्वास और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में दिनांक 3 जुलाई 2024 को भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (PMR) द्वारा लोअर लिंब प्रोस्थेटिक सेवा का औपचारिक शुभारंभ किया गया था, जिसके साथ ही दिव्यांगजनों को कृत्रिम पैरों का वितरण प्रारंभ हुआ। अब इस सेवा को एक वर्ष पूर्ण हो चुका है, और इस अवधि में यह पहल दिव्यांगजनों के जीवन में आत्मविश्वास, गतिशीलता और आत्मनिर्भरता लाने में एक महत्वपूर्ण आधार बनकर उभरी है। भारत में अंग विच्छेदन (Amputation) के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, जिसके प्रमुख कारणों में सड़क दुर्घटनाएं, मधुमेह (Diabetes) और परिधीय रक्तवाहिनी रोग (Peripheral Vascular Disease – PVD) शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, कुल अम्प्यूटेशन मामलों में से लगभग 85% केवल पैरों से संबंधित होते हैं, जो शरीर का भार उठाने, चलने-फिरने और दैनिक कार्यों को करने के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने पैरों से वंचित हो जाता है, तो वह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से गहरे प्रभाव में आ जाता है। उसकी आत्मनिर्भरता समाप्त हो जाती है और वह दूसरों पर आश्रित हो जाता है। ऐसे में प्रोस्थेसिस (कृत्रिम अंग) न केवल उसे दोबारा चलने की शक्ति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन में आत्मविश्वास, सम्मान और सक्रियता भी लौटाते हैं। एम्स भोपाल के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग द्वारा पहले से ही ऑर्थोसिस निर्माण एवं वितरण की सेवाएं प्रभावी रूप से संचालित की जा रही थीं, जिसके तहत लगभग 3,000 ऑर्थोसिस वितरित किए जा चुके हैं। विभाग द्वारा लोअर लिंब प्रोस्थेसिस के साथ-साथ बिलो-नी (BK), एबव-नी (AK), बिलो-एल्बो (BE) और एबव-एल्बो (AE) प्रोस्थेसिस भी प्रदान किए जा रहे हैं।
प्रोस्थेटिक सेवाओं के महत्व पर कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “शारीरिक अंगों की क्षति जीवन को प्रभावित जरूर करती है, परंतु यदि हम दिव्यांगजनों को सही सहयोग और समुचित पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराएं, तो वे समाज की मुख्यधारा में पूरी गरिमा और आत्मविश्वास के साथ शामिल हो सकते हैं।” उल्लेखनीय है कि एम्स भोपाल, मध्य भारत का ऐसा पहला सरकारी संस्थान बन गया है, जहाँ संस्थागत स्तर पर उन्नत प्रोस्थेटिक एवं ऑर्थोटिक सेवाएं निरंतर रूप से उपलब्ध कराई जा रही हैं।