भोपालमध्य प्रदेशस्वास्थ्य

एम्स भोपाल में मध्य भारत की पहली वॉल्व-इन-वॉल्व ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) प्रक्रिया सफल

भोपाल: 12 जून 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में, संस्थान ने चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। एम्स भोपाल ने मध्य भारत का पहला वॉल्व-इन-वॉल्व ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन (TAVI)— प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस प्रक्रिया के तहत रोगी के पुराने, क्षतिग्रस्त कृत्रिम हृदय वॉल्व को फ्रैक्चर कर नया वॉल्व प्रत्यारोपित किया गया। यह मिनिमली इनवेसिव (न्यूनतम चीड़-फाड़ वाली) प्रक्रिया 62 वर्षीय एक महिला रोगी पर की गई, जो पिछले कुछ समय से अत्यधिक सांस फूलने की समस्या से पीड़ित थीं। यह अत्याधुनिक, गैर-सर्जिकल और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया एम्स भोपाल में हृदय रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर एवं प्रभारी डॉ. भूषण शाह के नेतृत्व में की गई, जिसमें उनकी टीम के सदस्य डॉ. हरीश कुमार, डॉ. सुदेश प्रजापति और डॉ. आशीष जैन भी शामिल थे।

यह महिला रोगी 10 वर्ष पूर्व रूमेटिक हृदय रोग के कारण दोहरे वॉल्व प्रतिस्थापन (डबल वॉल्व रिप्लेसमेंट) की ओपन हार्ट सर्जरी करवा चुकी थीं। हाल के महीनों में, उनके द्वारा प्रत्यारोपित वॉल्व के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण सांस लेने में अत्यधिक परेशानी हो रही थी। उम्र और स्वास्थ्य की दृष्टि से उन्हें दोबारा बड़ी ओपन हार्ट सर्जरी के लिए फिट नहीं माना गया। ऐसे में एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश मलिक की अगुआई में की गई उन्नत इमेजिंग और हार्ट टीम के विशेषज्ञों—डॉ. योगेश निवारिया (प्रमुख एवं अतिरिक्त प्रोफेसर, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी), डॉ. वैशाली वेंडेसकर (प्रमुख एवं प्रोफेसर, एनेस्थीसिया) और डॉ. हरीश कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, एनेस्थीसिया)—द्वारा किए गए सटीक मूल्यांकन के आधार पर रोगी का चयन वॉल्व-इन-वॉल्व ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) के लिए किया गया। यह एक अत्याधुनिक, गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है, जो पैर की धमनी के माध्यम से की जाती है। यह प्रक्रिया भारत में निर्मित वॉल्व का उपयोग करते हुए की गई और केवल कुछ घंटों में पूरी हो गई। प्रक्रिया के अगले ही दिन रोगी चलने लगी और अब स्वस्थ अवस्था में उन्हें छुट्टी दी जा रही है।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “इस प्रक्रिया की सफलता न केवल सिर्फ एक जीवन को बचाती है, बल्कि उन अनेक मरीजों के लिए आशा की किरण बनती है जिनके पुराने कृत्रिम वॉल्व खराब हो चुके हैं और जो दोबारा ओपन हार्ट सर्जरी के लिए उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं। इस उपलब्धि के साथ, एम्स भोपाल अब उन्नत हृदय उपचार के क्षेत्र में अग्रणी संस्थानों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां विश्वस्तरीय उपचार बिना बड़ी सर्जरी के उपलब्ध है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!