एम्स भोपाल में पहली बार संस्थागत रूप से ब्रेन-डेड अंग दान की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न

भोपाल: 28 मई 2025
एम्स भोपाल ने अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में मध्य भारत में चिकित्सा क्षेत्र की एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में संस्थागत रूप से ब्रेन-डेड अंग दान की सफल प्रक्रिया को पूर्ण किया। इसके साथ ही, यह मध्य प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी संस्थान बन गया है, जिसने इस प्रकार की प्रक्रिया को संपन्न किया। यह उपलब्धि संस्थान की मरीज-केंद्रित दृष्टिकोण और उन्नत जीवन रक्षक सेवाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करती है। डोनर, ओबेदुल्लागंज निवासी 60 वर्षीय पुरुष, एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से सिर में घायल हो गए थे। गहन उपचार के बावजूद, उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके पश्चात, उनके परिवार — पत्नी, दो पुत्र एवं एक पुत्री — ने अपार मानवता और साहस का परिचय देते हुए उनके अंग दान करने का निर्णय लिया, जिससे कई जरूरतमंद मरीजों के जीवन में आशा की नई किरण जागी। दिनांक 27 मई को राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी की गई, जिसका संचालन ब्रेन डेड कमेटी के सदस्य डॉ अमित अग्रवाल, डॉ मयंक दीक्षित, डॉ सुमित राज एवं डॉ ज्योत्सना कुब्रे द्वारा किया गया। इस प्रक्रिया के अंतर्गत हृदय एवं दोनों गुर्दे सफलतापूर्वक निकाले गए। इनमें से हृदय तथा एक गुर्दे का प्रत्यारोपण एम्स भोपाल में ही किया गया, जबकि दूसरे गुर्दे को SOTTO के माध्यम से बंसल अस्पताल, भोपाल को आवंटित किया गया।
इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने डोनर परिवार के इस निःस्वार्थ निर्णय को अत्यंत सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हुए कहा, “उनका यह निर्णय आशा और मानवता का दीपक है। अंग दान समाज की सेवा का सर्वोच्च रूप है। हमें ऐसी बहादुर और उदारता पूर्ण पहल को प्रोत्साहित करने वाली संस्कृति बनानी चाहिए।” साथ ही, उन्होंने इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण करने हेतु एम्स भोपाल की पूरी टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्य में प्रो. (डॉ.) शशांक पुरवार (कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक) का अथक सहयोग रहा। अंग दान प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ केतन मेहरा, डॉ विक्रम वट्टी एवं डॉ राहुल शर्मा ने किया, जबकि समन्वय की जिम्मेदारी ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर श्री दिनेश मीना ने निभाई। हार्ट ट्रांसप्लांट टीम में डॉ योगेश निवाड़िया, डॉ एम किशन, डॉ सुरेंद्र यादव, डॉ राहुल शर्मा, डॉ विक्रम वट्टी तथा डॉ आदित्य सिरोही शामिल थे। वहीं, किडनी ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व डॉ देवाशिष कौशल एवं डॉ केतन मेहरा द्वारा किया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया टीम — डॉ वैशाली वेंडेसकर, डॉ सुनैना तेजपाल कर्णा, डॉ अनुज जैन एवं डॉ पूजा सिंह — ने हेमोडायनामिक स्थिरता एवं चिकित्सकीय कुशलता बनाए रखी। चूंकि यह एक मेडिकोलीगल प्रकृति का मामला था, अतः आवश्यक ऑटोप्सी पहली बार एम्स भोपाल में ऑपरेशन थिएटर के भीतर की गई, जिससे कानूनी एवं प्रक्रियागत नियमों का पालन करते हुए अंगों की समय पर निकासी सुनिश्चित हो सकी। इस महत्वपूर्ण कार्य का नेतृत्व फोरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) राघवेन्द्र कुमार विदुआ ने किया, जिनके साथ डॉ अतुल केचे भी सम्मिलित थे। डोनर के इस बहादुरीपूर्ण एवं महान कार्य के सम्मान में एम्स भोपाल में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जो जीवनदान के इस अनुपम उपहार के प्रति संस्थान की गहन श्रद्धांजलि का प्रतीक है।