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एम्स भोपाल में सफलतापूर्वक संपन्न हुई यूवाइटिस मीट 2025: मध्य भारत में पहली बार दुर्लभ नेत्र रोगों पर विशिष्ट सम्मेलन

भोपाल: 27 मई 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में नेत्र रोग विभाग द्वारा “यूवाइटिस मीट 2025” का सफल आयोजन किया गया। यह सम्मेलन नेत्रों में सूजन (यूवाइटिस) जैसे जटिल रोगों पर केंद्रित मध्य भारत का एक विशिष्ट सुपर-स्पेशलिटी शैक्षणिक आयोजन रहा, जिसमें देशभर से आए 125 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस शैक्षणिक सम्मेलन में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से आए छह आमंत्रित विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। मुख्य वक्ताओं में डॉ. पद्ममालिनी महेन्द्रदास (नारायण नेत्रालय, बेंगलुरु), डॉ. पार्थप्रतिम दत्ता मजूमदार (शंकर नेत्रालय, चेन्नई), डॉ. आलोक सेन (सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय, चित्रकूट), डॉ. धैवत शाह (चोइथराम नेत्रालय, इंदौर) तथा डॉ. अनामिका द्विवेदी (एसएस मेडिकल कॉलेज, रीवा) प्रमुख रूप से शामिल रहे। इनके व्याख्यानों के माध्यम से यूवाइटिस के निदान एवं उपचार के नवीनतम पहलुओं पर गहन एवं उपयोगी चर्चा हुई।

यूवाइटिस मीट 2025 के आयोजन सचिव डॉ. समेन्द्र कारखुर ने जानकारी दी कि यह सम्मेलन मध्य भारत में अपनी तरह का पहला आयोजन है, जिसमें विशेषज्ञों ने देश के विभिन्न हिस्सों से आकर भाग लिया। उन्होंने यह भी बताया कि एम्स भोपाल का नेत्र रोग विभाग यूवाइटिस जैसे जटिल रोगों के निदान एवं उपचार हेतु सभी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है। कार्यक्रम के दौरान एक प्रतिस्पर्धात्मक केस प्रजेंटेशन एवं रोचक ऑडियंस क्विज का भी आयोजन किया गया, जिसमें पीजी विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की। एम्स भोपाल की द्वितीय वर्ष की पीजी छात्रा डॉ. एस्थर ने केस प्रजेंटेशन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में भोपाल के विभिन्न संस्थानों से कुल 15 पीजी विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन विशेष रूप से डॉ. सरोज गुप्ता, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. विद्या वर्मा एवं डॉ. समेन्द्र कारखुर के सहयोग से संपन्न हुआ।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “एम्स भोपाल चिकित्सा एवं अनुसंधान के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यूवाइटिस मीट 2025 जैसे आयोजनों से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता को बल मिलता है, बल्कि आम जनता को भी लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि अब उन्हें दुर्लभ नेत्र रोगों के उपचार हेतु दूर-दराज के स्थानों पर नहीं जाना पड़ेगा। हमारा उद्देश्य विशेषज्ञता को जनसेवा से जोड़ना है।”

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