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जिम्मेदार मर्दानगी अभियान : पुलिस-समाज की साझा पहल

सामुदायिक पुलिसिंग कार्यशाला में जेंडर समानता और सामाजिक सशक्तिकरण पर मंथन

भोपाल: 13 सितंबर 2025

मध्यप्रदेश सामुदायिक पुलिसिंग द्वारा संचालित जिम्मेदार मर्दानगी अभियान के अंतर्गत आज मध्यप्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, विज्ञान भवन भोपाल में एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से सामुदायिक पुलिसिंग से जुड़े पुलिस अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिधि तथा सृजन अभियान से जुड़े सदस्य शामिल हुए। संगिनी, समर्थ, उदय, बचपन, आरम्भ, मिट, मुस्कान और कृषक संस्था सहित अनेक स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

कार्यशाला की शुरुआत और उद्देश्य

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिभागियों के परिचय एवं उद्देश्य साझा करने से हुआ। सृजन अभियान से जुड़ी बालिकाओं और बालकों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान की।

इस अवसर पर विनीत कपूर, उप महानिरीक्षक सामुदायिक पुलिसिंग और श्री अमृत मीना, सहायक पुलिस महानिरीक्षक सामुदायिक पुलिसिंग ने उपस्थित जनों को संबोधित किया।

अभियान की पृष्ठभूमि और अनुभव साझा

विनीत कपूर ने अभियान की एक वर्ष की यात्रा और उसके सकारात्मक प्रभावों की जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने जेंडर समानता और हिंसा की रोकथाम पर प्रशिक्षण दिया।

विभिन्न जिलों से आए एनजीओ प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए—

उदय संस्थान, झाबुआ ने बताया कि खंडवा और झाबुआ में 147 ग्राम रक्षा समिति सदस्य जोड़े गए और 256 बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। एक परिवार ने बेटी की पढ़ाई के लिए सगाई के बाद भी विवाह टालने का निर्णय लिया।

खंडवा पुलिस निरीक्षक ने घरेलू हिंसा पीड़ित महिला की काउंसलिंग कर परिवार को पुनः जोड़ने का उदाहरण दिया।

रायसेन के एनजीओ ने ऑनलाइन मीटिंग्स और पीपीटी के माध्यम से सर्किल स्तर तक जागरूकता फैलाई।

आधार संस्था ने मैहर, पन्ना, सतना और छतरपुर में पुलिस अधिकारियों की अध्यक्षता में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किए।

प्रदीपन संस्था, बैतूल ने 200 लोगों को प्रशिक्षित किया और 35 स्कूलों में 7500 बच्चों को जागरूक किया।

सामुदायिक सुरक्षा और भविष्य की योजना

विनीत कपूर ने कहा कि अभियान का उद्देश्य समाज में ऐसी चेतना जगाना है, जिससे महिला और बच्चों से जुड़े कानूनों—जैसे बाल विवाह निषेध, ऑनर किलिंग की रोकथाम, दुष्कर्म और यौन हिंसा—का प्रभावी प्रवर्तन हो सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि बलात्कार और ऑनर किलिंग जैसे अपराध तथाकथित गलत मर्दानगी की सोच से जुड़े होते हैं।

उन्होंने कहा— “मर्दानगी का अर्थ शक्ति और वर्चस्व नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और सुरक्षा का भाव है। पुरुष यदि अपनी शक्ति का उपयोग संरक्षण और समानता स्थापित करने में करें, तभी सच्चे अर्थों में सुरक्षित समाज का निर्माण होगा।”

कार्यशाला के समापन सत्र में अभियान को और आगे बढ़ाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत की गई—

ग्राम एवं नगर रक्षा समितियों का सतत प्रशिक्षण।

विद्यालयों और महाविद्यालयों में विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं तक संदेश पहुँचाना।

स्वयंसेवी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।

पंचायत एवं वार्ड स्तर पर समितियों द्वारा समुदाय से संवाद और स्थानीय समस्याओं का समाधान।

शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम और पंचायत विभाग का सहयोग लेना।

जिम्मेदार मर्दानगी : सकारात्मक बदलाव की ओर कदम

अब तक प्रदेश के 55 जिलों में 2 लाख से अधिक रक्षा समिति सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिनके माध्यम से 20 लाख नागरिकों तक जागरूकता संदेश पहुँचा है। यह अभियान पुलिस और समाज की साझेदारी को मजबूत बनाकर समानता आधारित और सुरक्षित समाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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