एम्स भोपाल ने हाइब्रिड कवर्ड स्टेंट के साथ पहला दुर्लभ साइनस वेनोसस ASD क्लोजर किया

भोपाल: 20 सितंबर 2025
मुख्य बिंदु
एम्स भोपाल ने पहली बार हाइब्रिड कवर स्टेंट द्वारा साइनस वेनोसस ASD का सफल क्लोजर किया।
प्रक्रिया के दौरान अतिरिक्त दाहिनी ऊपरी पल्मोनरी वेन की सुरक्षा के लिए विशेष तकनीक अपनाई गई।
आरए–एसवीसी जंक्शन पर बैलून फ्लेयरिंग से स्टेंट पूरी तरह फिट हुआ और अवशिष्ट शंट समाप्त हुआ।
यह उपलब्धि जटिल हृदय उपचारों में नया मील का पत्थर है, जिसे उत्तर भारत के कुछ ही केंद्र कर रहे हैं।
एम्स भोपाल ने पहली बार साइनस वेनोसस एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) का क्लोजर एक हाइब्रिड कवर स्टेंट की मदद से सफलतापूर्वक किया। यह उपलब्धि हृदय रोग उपचार के क्षेत्र में एक अहम कदम है। यह उन्नत प्रक्रिया विश्व-भर में तेजी से स्वीकार की जा रही है, हालांकि उत्तर भारत के केवल कुछ ही केंद्र इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। इस जटिल मामले में रोगी की संरचना चुनौतीपूर्ण थी। इसमें एक अतिरिक्त दाहिनी ऊपरी पल्मोनरी वेन (RUPV) मौजूद थी, जिसे प्रक्रिया के दौरान बंद होने से बचाना आवश्यक था। इसके अलावा, सीवीसी-आरए (SVC–RA) जंक्शन काफी चौड़ा था, जिसके लिए स्टेंट का विशेष तरीके से फैलाव करना जरूरी था ताकि रक्त प्रवाह सुचारु बना रहे। टीम ने एक विशेष हाइब्रिड कवर स्टेंट का उपयोग किया, जिसके एक सिरे पर 15 मिमी का अनकवर्ड भाग होता है। अतिरिक्त नस की सुरक्षा के लिए, 5F JR कैथेटर को कवर और अनकवर भाग के जंक्शन पर स्टेंट स्ट्रट्स के बीच से सावधानीपूर्वक निकाला गया। इसके बाद, 28 मिमी BMV बैलून का उपयोग करके स्टेंट को सही तरीके से फिट किया गया और किसी भी शेष शंट को समाप्त कर दिया गया।
यह तकनीक, जिसमें RA–SVC जंक्शन पर बैलून से फ्लेयरिंग की जाती है, अब तक वर्णित नहीं की गई थी। परिणाम पूरी तरह सफल रहा। RUPV का पूरा रक्त प्रवाह बिना किसी रुकावट के बाएँ आलिंद (Left Atrium) में पहुंचाया गया। यह उपलब्धि एम्स भोपाल के लिए एक नया मील का पत्थर है और यह दर्शाती है कि संस्थान दुर्लभ और जटिल हृदय उपचारों में भी उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है।