भोपालमध्य प्रदेशस्वास्थ्य

एम्स भोपाल की रेजिडेंट को महिला आत्महत्या के जैविक अध्ययन के लिए आईसीएमआर अनुदान

भोपाल: 29 सितंबर 2025

एम्स भोपाल लगातार चिकित्सा सेवाओं और शोध कार्यों में नई ऊँचाइयाँ स्थापित कर रहा है, जिससे संस्थान के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। इसी क्रम में एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग की जूनियर रेजिडेंट डॉ. अबार्ना श्री एस. बी. को उनके स्नातकोत्तर शोध प्रबंध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से 50,000 रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अध्ययन “हिस्टोलॉजिकल एनालिसिस ऑफ यूटेरस एंड ओवरी, इंटरप्ले ऑफ लिपिड मेटाबॉलिज़्म, इंफ्लेमेटरी मार्कर्स एंड साइकॉलॉजिकल फैक्टर्स इन सुसाइडल डेथ्स अमंग वीमेन ऑफ रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप – एन ऑटोप्सी-बेस्ड क्रॉस-सेक्शनल स्टडी” पर किया जा रहा है। यह अध्ययन महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्महत्या पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य आत्महत्या करने वाली महिलाओं में जैविक और मनोवैज्ञानिक कारकों की जटिलताओं को समझना है।

इस शोध में गर्भाशय और अंडाशय के सूक्ष्म संरचनात्मक (हिस्टोलॉजिकल) बदलावों के साथ-साथ लिपिड मेटाबॉलिज्म और इंफ्लेमेटरी मार्कर्स का विश्लेषण किया जाएगा। इन निष्कर्षों को मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि से जोड़कर, यह अध्ययन महिलाओं में आत्महत्या की घटनाओं के पीछे जैविक और मानसिक स्वास्थ्य कारकों के बीच संतुलित समझ प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है और इस पर कम शोध होता है। ऐसे में यह अध्ययन बहुत ज़रूरी है।

यह शोध जोखिम कारकों की शुरुआती पहचान और निवारक रणनीतियों में योगदान देगा। साथ ही यह पैथोलॉजी, मनोरोग और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच मौजूद अंतर को भी कम करने में सहायक होगा। यह अध्ययन शैक्षणिक प्रगति और सामाजिक प्रभाव दोनों की दिशा में उपयोगी साबित हो सकता है। डॉ. अबार्ना श्री ने एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर और फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग का सहयोग और मार्गदर्शन देने के लिए आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का भी धन्यवाद किया, जो युवा शोधकर्ताओं को निरंतर सार्थक वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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