मोहन केबिनेट के कुछ अहम फैसले, जानिए क्या हैं…..!!!

भोपाल: 19 अगस्त 2025
आज मोहन यादव कैबिनेट की बैठक में पांच संभाग स्तरीय आयुष चिकित्सालय एवं वेलनेश सेंटर को मंजूरी दी है, बैठक की जानकारी देते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि, इसके लिए प्रति चिकित्सालय 70 करोड़ यानी कुल 350 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।
आज कैबिनेट ने प्रदेश के सभी जिलों में गीता भवन बनाने को लेकर स्वीकृति दी हे, सीएम ने सभी कलेक्टरों को आगामी 5 वर्ष में सभी गीता भवन तैयार होने के निर्देश जारी किए हैं।
भोपाल में केंद्र सरकार के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर बनाने को मंजूरी,, इसमें रिसर्च और डेवलपमेंट होगा, जिससे विद्यार्थियों को भी सीखने में मदद मिलेगी, केबिनेट ब्रीफिंग के दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि, भोपाल में जल्द किसान सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमे पीएम मोदी भी शामिल होंगे, इसके अलावा पीएम मोदी धार में टेक्सटाइल की बढ़ावा देने के लिए पीएम मित्र पार्क का भी भूमिपूजन करने आयेंगे।
आज कैबिनेट बैठक में जानकारी दी गई कि, मप्र के निर्यात में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है,, साथ ही बताया गया कि, बजट के पूंजीगत व्यय के मामले में मप्र तीसरे स्थान पर है, यहां पूंजीगत व्यय लगभग 41 फीसदी है।
आज की बैठक में आदिवासी विद्यार्थियों को सालभर शिक्षावृति देने, सिविल सेवा अधिकारियों के अवकाश नियम केंद्र के अनुसार करने, मुरैना के कैलारस में शुगर मिल विवाद के निराकरण करने, सहित अन्य मुद्दों पर भी केबिनेट ने मंजूरी दी है।
भोपाल के गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्थापना की स्वीकृति आज कैबिनेट ने प्रदान की है,, एंडोक्राइनोलॉजी के माध्यम से साधारणत: जो बीमारियाँ होती हैं, उनके लिए हमारे यहाँ अभी तक कोई विशेष केंद्र नहीं था। इस संबंध में रिसर्च सेंटर और विशेषज्ञों की बहुत आवश्यकता थी।
वर्तमान में यहाँ एमबीबीएस पाठ्यक्रम की 250 सीटें उपलब्ध हैं। भारत सरकार की केंद्र प्रवर्तित योजना के अंतर्गत इसमें 134 सीटों की स्वीकृति दी गई है। इसमें कुल 20 पदों की आवश्यकता को स्वीकृत किया गया है, जिनमें सहायक प्राध्यापक, सीनियर रेज़िडेंट, जूनियर रेज़िडेंट, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, जूनियर नर्सिंग ऑफिसर और प्राध्यापक शामिल हैं। इन पदों के सृजन में वार्षिक एक करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस विभाग से थायरॉइड, शुगर आदि पर रिसर्च और सही इलाज संभव होगा। डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट में आया है कि एशिया में हर छठा व्यक्ति शुगर का मरीज होगा। यह सब हमारी लाइफ स्टाइल का परिणाम है, इसलिए इस पर अनुसंधान और उपचार अत्यंत आवश्यक है।