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दुर्लभ रोगों के इलाज का प्रमुख केंद्र है एम्स भोपाल, मरीजों को मिल रही विशेषज्ञ सेवाएं

भोपाल: 08 अगस्त 2025

एम्स भोपाल चिकित्सा सेवाओं और अनुसंधान के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। संस्थान को भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की दुर्लभ रोगों की राष्ट्रीय नीति के अंतर्गत दुर्लभ रोगों के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस मान्यता के तहत एम्स भोपाल में उन रोगों के इलाज और देखभाल की सुविधा उपलब्ध है, जो विरले और आनुवंशिक कारणों से होते हैं। इनमें लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, जेनेटिक मेटाबॉलिक बीमारियाँ, डुचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD), स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) और अन्य वंशानुगत विकार शामिल हैं। दुर्लभ रोग अक्सर समय पर पहचाने नहीं जा पाते और सही इलाज के अभाव में मरीजों और उनके परिवारों को भारी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे में एम्स भोपाल में यह सुविधा मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक बड़ी राहत है। यह केंद्र न केवल इन रोगों की समय पर पहचान और उन्नत जांच की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि पीड़ितों को वैज्ञानिक और समग्र इलाज भी उपलब्ध कराता है। यहाँ काम कर रही विशेषज्ञ टीम मरीजों को लंबे समय तक आवश्यक परामर्श और सहयोग भी प्रदान करती है।

दुर्लभ रोगों के लिए यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है। दवाओं, उपकरणों और उपभोग्य सामग्रियों के लिए कुल ₹9.4 करोड़ का अनुदान दिया गया है। यह सुविधा मध्य भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए अन्य महानगरों में नहीं जाना पड़ेगा। एम्स भोपाल में ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण और सुलभ उपचार मिलेगा। दुर्लभ रोग भले ही व्यक्तिगत रूप से कम हों, लेकिन सामूहिक रूप से ये बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं। एम्स भोपाल का यह सेंटर ऐसे मरीजों के जीवन में एक नई उम्मीद और सहारा बनकर कार्य कर रहा है। यह पहल संस्थान की चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और उसकी जन-हितैषी सोच को दर्शाती है।

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