एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने फॉरेंसिक साक्ष्यों के सुरक्षित संग्रहण और परिवहन हेतु टैम्पर-प्रूफ क्यूआर-लेबल तकनीक विकसित की

भोपाल: 05 अगस्त 2025
एम्स भोपाल ने फॉरेंसिक विज्ञान और स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग ने एक टेंपर-प्रूफ, क्यूआर कोड युक्त लेबलिंग प्रणाली विकसित की है, जो चिकित्सा-न्यायिक जांच के दौरान एकत्र किए गए फॉरेंसिक नमूनों के सुरक्षित भंडारण, सुरक्षित परिवहन और न्यायिक मान्यता को सुनिश्चित करती है। यह नवाचार इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा वित्तपोषित दो वर्षीय अनुसंधान परियोजना का हिस्सा है। इस प्रणाली में एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया, जलरोधक, एकल-उपयोग वाला, अटूट लेबल शामिल है, जिसमें संस्थागत मुहर और एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड होता है। यह लेबल साक्ष्य कंटेनरों पर सीधे चिपकाया जा सकता है, जो भौतिक सुरक्षा, डिजिटल ट्रेसबिलिटी और टेंपर डिटेक्शन की सुविधा प्रदान करता है। यह नवाचार उन व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करता है जिनका सामना पुलिस बल को फॉरेंसिक नमूनों के संरक्षण स्थलों से पुलिस थानों या फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) तक ले जाते समय करना पड़ता है। जैसे कि लेबल के धुंधला या नष्ट हो जाने से सूचना का नुकसान, नमूनों का आपस में बदल जाना, लंबे समय तक भंडारण के दौरान नमी या चूहों द्वारा नुकसान, और ‘चेन ऑफ कस्टडी’ का टूट जाना, जिससे साक्ष्य अस्वीकार हो जाते हैं और न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है। नया लेबल जल, साल्ट सॉल्यूशन, अल्कोहल और फॉर्मालिन जैसे सामान्य प्रिजर्वेटिव के प्रति रेसिस्टेंट है, तथा पर्यावरणीय परिस्थितियों या कंटेनर से रिसाव के बावजूद स्थायित्व और चिपकने की क्षमता बनाए रखता है। क्यूआर कोड केस-विशिष्ट पहचान और सुरक्षित डेटा एक्सेस सुनिश्चित करता है। यह नवाचार भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूत करने वाली एक पहल है। इस प्रणाली को एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. राघवेन्द्र कुमार विदुआ और इंटर्न डॉ.पल्लवी सिंह ने सह-विकसित किया है। इस प्रणाली को कई परीक्षणों के माध्यम से जांचा गया और यह पारंपरिक पेपर लेबल की तुलना में मजबूती, पठनीयता और सुरक्षा के मामले में बेहतर सिद्ध हुई। अनुसंधान टीम अब इसमें एआई आधारित टेंपर डिटेक्शन और होलोग्राफिक प्रमाणीकरण फीचर्स जोड़ने की योजना बना रही है और इसके पेटेंट के लिए आवेदन करेगी।