भोपालमध्य प्रदेशराज्यस्वास्थ्य

बार्सिलोना (स्पेन) में एम्स भोपाल के डॉ. अभिनव सिंह का जलवा

भोपाल: 6 जून 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में संस्थान न केवल उपचार के क्षेत्र में बल्कि अनुसंधान और शैक्षणिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में भी निरंतर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। इसी क्रम में, बर्न्स एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिनव सिंह ने स्पेन के बार्सिलोना में आयोजित ‘वर्ल्ड सोसाइटी फॉर रिकंस्ट्रक्टिव माइक्रोसर्जरी (डब्ल्यूएसआरएम) कांग्रेस 2025’ में एम्स भोपाल का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर डॉ. अभिनव सिंह ने अपने शोध कार्य “निचले अंग पुनर्निर्माण में एंटरोलैटरल थाई (ALT) फ्लैप की उपयोगिता: 39 मामलों की एक पुनरावलोकनात्मक श्रृंखला” पर मौखिक प्रस्तुति दी। यह संपूर्ण अध्ययन एम्स भोपाल में ही संपन्न हुआ था, जिसमें जटिल निचले अंगों की शल्य चिकित्सा हेतु ALT फ्लैप तकनीक का प्रभावी और सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया। गौरतलब है कि यह कांग्रेस माइक्रोसर्जरी के क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित मंचों में से एक है, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से आए 2500 से अधिक प्रमुख प्लास्टिक एवं पुनर्निर्माण सर्जनों ने सहभागिता की। इस सम्मेलन में शोध पत्रों के चयन हेतु अत्यंत कठोर प्रक्रिया अपनाई जाती है, इसके बावजूद डॉ. सिंह के शोध पत्र को मौखिक प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. अभिनव सिंह की यह उपलब्धि एम्स भोपाल के लिए अत्यंत गर्व का विषय है। विश्व मंच पर हमारे संस्थान का प्रतिनिधित्व यह प्रमाणित करता है कि एम्स भोपाल में किया जा रहा अनुसंधान और चिकित्सा कार्य वैश्विक मानकों के अनुरूप है। यह उपलब्धि न केवल हमारे चिकित्सकों के लिए प्रेरणास्रोत है, बल्कि आम नागरिकों के भीतर यह विश्वास भी सुदृढ़ करती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सेवाएं अब भारत में, विशेषकर एम्स भोपाल में, उपलब्ध हैं।” उल्लेखनीय है कि डॉ. सिंह द्वारा प्रस्तुत ALT फ्लैप तकनीक उन रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है, जिन्हें सड़क दुर्घटनाओं, गंभीर संक्रमण या कैंसर के उपरांत निचले अंगों में गहन क्षति का सामना करना पड़ता है। इस तकनीक की मदद से न केवल अंगों को संरक्षित किया जा सकता है, बल्कि रोगी के जीवन की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार संभव है।

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