एम्स भोपाल में ट्रांसलेशनल डर्मेटोलॉजी की शुरुआत, अब त्वचा रोगों का होगा सटीक इलाज

भोपाल: 31 जुलाई 2025
एम्स भोपाल, अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में शैक्षणिक नवाचार और अनुसंधान उत्कृष्टता के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। इसी क्रम में, एम्स भोपाल ने त्वचा स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “ट्रांसलेशनल डर्मेटोलॉजी इनिशिएटिव” की शुरुआत की है। यह पहल प्रयोगशाला अनुसंधान, क्लीनिकल विज्ञान और डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों को एकीकृत कर व्यक्तिगत और सटीक त्वचा देखभाल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। भारत में सोरायसिस, एक्ज़िमा, विटिलिगो और दुर्लभ अनुवांशिक बीमारियों जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं करोड़ों लोगों को प्रभावित करती हैं, जिनका उपचार अब तक सामान्य लक्षणों पर आधारित रहा है। यह नई पहल प्रत्येक व्यक्ति की जैविक और आनुवंशिक संरचना के आधार पर उपचार को अनुकूलित करने का प्रयास करती है। इस पहल के अंतर्गत त्वचा रोग विभाग, ट्रांसलेशनल मेडिसिन विभाग, दुर्लभ रोगों के लिए उत्कृष्टता केंद्र, जैव रसायन विभाग, प्रिसिशन मेडिसिन सेंटर और इनोवेशन सेंटर (BANI-Health) मिलकर कार्य कर रहे हैं। प्रमुख छह फोकस क्षेत्रों में आनुवंशिक त्वचा रोग, सूजन संबंधी रोग, इम्यूनोडर्मेटोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और त्वचा इमेजिंग, त्वचा कैंसर और बायोबैंकिंग शामिल हैं।
यह पहल मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी – इससे दुर्लभ बीमारियों का शीघ्र निदान, एक्ज़िमा व सोरायसिस जैसे रोगों के लिए अनुकूलित उपचार योजनाएं, त्वचा कैंसर के आरंभिक संकेतों की एआई आधारित पहचान तथा आनुवंशिकी और पर्यावरण के प्रभावों की बेहतर समझ संभव हो सकेगी। इसके अंतर्गत प्रत्येक शुक्रवार दोपहर 2 से 4 बजे तक बाल त्वचा रोग क्लिनिक भी संचालित की जा रही है, जो पुरानी त्वचा बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उच्च स्तरीय देखभाल प्रदान करेगी। यह पहल न केवल रोगियों के लिए, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बीमारियों के व्यवहार की समझ से नीति-निर्माताओं को अधिक प्रभावी जागरूकता कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, एम्स भोपाल त्वचा जीवविज्ञान, एआई इन डर्मेटोलॉजी, और क्लीनिकल ट्रायल्स के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भावी चिकित्सक-विज्ञानियों की एक नई पीढ़ी तैयार करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है।
इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “यह पहल एम्स भोपाल की विज्ञान आधारित रोगी देखभाल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अनुसंधान और क्लीनिकल सेवाओं के समन्वय से हम दुर्लभ बीमारियों का शीघ्र निदान और सामान्य रोगों का वैयक्तिक उपचार सुनिश्चित कर पाएंगे।” इस पहल की प्रमुख अनुसंधानकर्ता ने बताया कि हमने देखा है कि एक ही बीमारी अलग-अलग मरीजों में अलग तरह से व्यवहार करती है। ट्रांसलेशनल डर्मेटोलॉजी से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ऐसा क्यों होता है और हम उपचार को उसी अनुसार अनुकूलित कर सकते हैं। इस अवसर पर डीन (अकादमिक) सहित त्वचा रोग, ट्रांसलेशनल मेडिसिन और जैव रसायन विभागों के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।