ट्रैकमैनों की सतर्कता और अदम्य साहस से बची हजारों यात्रियों की जान, मंडल रेल प्रबंधक ने किया सम्मानित
भीषण बारिश के बीच रेलकर्मियों ने लिखी वीरता की गाथा

भोपाल/कोटा: 04 सितम्बर 2025
कभी-कभी कठिन हालात में लिया गया एक सही निर्णय हजारों जिंदगियां बचा सकता है। ऐसा ही एक उदाहरण कोटा मंडल के कँवलपुरा–दरा रेलखंड पर 3 सितम्बर 2025 की प्रातः लगभग 04.00 बजे घटित हुआ, जब मूसलाधार बारिश और पहाड़ों से बहते तेज पानी के बीच चार साहसी ट्रैकमैनों ने अपनी सूझबूझ और निडरता से एक भीषण रेल दुर्घटना को टाल दिया।
दिनांक 3 सितम्बर 2025 को प्रातः लगभग 04:00 बजे, ट्रैक मेंटेनर नवीन कुमार, संदीप कुमार, रमेश चंद मीणा एवं ओमप्रकाश मीना कँवलपुरा–दरा रेलखंड के ट्रैक पर गश्त कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि किलोमीटर संख्या 870/44 पर पहाड़ी से उमड़ते पानी ने ट्रैक किनारे की दीवार को तोड़ दिया है और पत्थर व मलबा डाउन लाइन की पटरी पर जमा होने से ट्रैक बाधित हो गया है। बारिश की रौद्रता और बढ़ते जलस्तर के बीच भी इन कर्मठ रेलकर्मियों ने परिस्थिति का तत्काल आकलन किया और बिना एक क्षण गंवाए अपने इंचार्ज, वरिष्ठ खंड अभियंता श्री पीयूष शर्मा को सूचित किया।
वरिष्ठ खंड अभियंता श्री शर्मा उस समय दरा स्टेशन पर ड्यूटी पर थे। सूचना मिलते ही उन्होंने जाना कि डाउन लाइन पर गाड़ी संख्या 04126 मुंबई–सूबेदारगंज स्पेशल एक्सप्रेस कँवलपुरा रेलवे स्टेशन से निकल चुकी है और घटनास्थल के बेहद निकट है। क्षण भर की भी देरी भारी पड़ सकती थी। उन्होंने तुरंत स्टेशन मास्टर को अवगत कराया और ट्रेन को चलने वाली ओएचइ लाइन की विद्युत आपूर्ति कटवाने की कार्रवाई सुनिश्चित करवाई। परिणामस्वरूप, वह ट्रेन घटनास्थल से मात्र 20 मीटर पूर्व सुरक्षित रूप से थम गई। यदि यह सतर्कता और त्वरित कार्रवाई न होती तो सैकड़ों यात्रियों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी।
यह घटना भारतीय रेल के उन गुमनाम नायकों की बहादुरी को सामने लाती है जो हर परिस्थिति में यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं। मंडल रेल प्रबंधक, कोटा श्री अनिल कालरा ने इन साहसी ट्रैकमैनों और वरिष्ठ खंड अभियंता की सराहना करते हुए मंडल कार्यालय में उन्हें प्रशस्ति पत्र और नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
रेलवे प्रशासन ने इस घटना को अनुकरणीय बताया है। यह स्पष्ट करता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी रेलकर्मी अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हुए यात्रियों की सुरक्षा की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कोटा मंडल के ये साहसी ट्रैकमैन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।