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भगवान एक या अनेक नही, सर्वत्र भगवान ही है। – श्री मोहन भागवत

अपने बोध का बोध कराने वाली नर्मदा मैया है। - श्री मोहन भागवत

भोपाल/इंदौर: 14 सितंबर 2025

जीवंत चैतन्य के आधार पर बने नाते के आधार पर हमारा देश चल रहा है।- श्री मोहन भागवत

भारत का अस्तित्व, भक्ति और आत्मीयता के भाव के कारण है, यही भारत का भाव है। सर्वत्र चैत्यन्यता और पवित्रता देखने का भाव, जब तक रहा, तब तक दुनिया में सुख और शांति रही। दुनिया को दबाया नही, सभ्यता दी सभी को ज्ञान दिया।

उपर्युक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक माननीय श्री मोहनजी भागवत ने श्री प्रह्लाद पटेल के नर्मदा परिक्रमा के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक “परिक्रमा कृपा-सार” के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किये।

पूजनीय सरसंघचालकजी ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा सर्वत्र श्रद्धा का विषय है। कर्मवीर और तर्कवीरों के देश में श्रद्धा और विश्वास का बड़ा स्थान है। जनरल मोटर्स के उदाहरण के द्वारा आपने बताया कि दुनिया विश्वास पर चलती है। हमारे यहाँ का श्रद्धा, ठोस आधार और प्रत्यक्ष प्रतीती के आधार पर बनी है। हमारे यहाँ के प्रत्यक्ष प्रमाणों की अनुभूति के लिये प्रसार करना पड़ेगा। हमारे यहाँ श्रद्धा और विश्वास को भवानी-शंकर माना गया है। हमारे यहाँ ज्ञानेंद्रियों से परे भी सत्य की खोज होती रही है। सत्य और सुख, बाहर नहीं मिलता है, सुख अपने अंदर है। हमारे पूर्वजों ने सुख की आंतरिक खोज की, जिसमें सत्य का ज्ञान हुआ। सबमें एक ब्रह्म है, बाह्य विविधता मिथ्या है। शाश्वत स्तर एकत्व का है। सबमें भगवान है और भगवान में सब है।

हमारे पूर्वजों ने सत्य बताया कि मै, मेरा एक स्तर तक ही है, ये स्तर से जाना भी पड़ता है। इस स्तर का नाटक भी करना पड़ता है। इसके लिये साधना आवश्यक है। मैं और मेरे भाव से अलग होकर संसार की यात्रा करना है। इस हेतु हमारे पूर्वजों ने साधना के विविध मार्ग बताये हैं। हमारे पूर्वजों ने ईश्वर के द्वार सभी लिये खोले है। भक्ति भाव के साथ नर्मदा के दर्शन भी ऐसी साधना है। अपने बोध का बोध कराने वाली नर्मदा मैया है, वो योग्यता नहीं देखती है।

भाव और भक्ति की कमी से संसार में पारिवारिक, सामाजिक, पर्यावरण और मानसिक विकृति आ रही है। अत: भक्ति-भाव के द्वारा ही संसार में सुख-शांति संभव है। दुनिया धर्म से चलती है, धर्म रक्षण के लिये अपनापन और भक्ति आवश्यक है।

कार्यक्रम में महामंडलेश्वर श्री ईश्वरानंद उत्तमस्वामीजी महाराज भी उपस्थिति थे। भारतमाता, माँ नर्मदा, लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर एवं श्री श्रीबाबाश्री जी को पुष्पार्पण और नर्मदाष्टकम् से प्रारंभ हुए कार्यक्रम में श्री प्रह्लाद पटेल ने अपनी नर्मदा परिक्रमा के संस्मरणों के साथ स्वागत भाषण दिया। श्री पटेल ने पुस्तक को अपने गुरूदेव की कृपासार निरूपित किया। कार्यक्रम में नर्मदा परिक्रमा के संकलित अंशों पर आधारित भावपूर्ण चलचित्र का प्रदर्शन किया गया।

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