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एम्स भोपाल नेत्र प्रत्यारोपण से कई मरीजों की जिंदगी में लौटी रोशनी

भोपाल: 06 सितंबर 2025

एम्स भोपाल के नेत्रविज्ञान विभाग ने नेत्र प्रत्यारोपण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टरों और उनकी टीम ने ऐसे कई मरीजों को फिर से देखने की क्षमता दी है, जो वर्षों से अंधकार में जी रहे थे। इन मरीजों के जीवन में लौटी यह नई रोशनी न केवल उनके परिवारों के लिए खुशी लेकर आई है, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है। एम्स भोपाल में हाल ही में 13 वर्षीय एक बालक का सफल नेत्र प्रत्यारोपण किया गया। बालक की आंख की पुतली गंभीर रूप से खराब हो चुकी थी, जिससे वह न तो स्कूल जा पाता था और न ही सामान्य जीवन जी पा रहा था। अत्याधुनिक कॉर्नियल रिट्रीवल प्रोग्राम के अंतर्गत उसकी पुतली का सफल प्रत्यारोपण हुआ। अब वह न केवल पढ़ाई कर रहा है बल्कि खेलकूद में भी भाग ले रहा है। उसके जीवन में लौटी रोशनी ने पूरे परिवार को नई खुशी दी है। इसी प्रकार, 65 वर्षीय एक पुरुष मरीज, जिनकी आंखें सूखे आंख सिंड्रोम के कारण सफेद हो चुकी थीं, ने नेत्रदान से मिली नई पुतली के सहारे फिर से दृष्टि प्राप्त की। अपनी आंखों में लौटती रोशनी देखकर वे भावुक हो उठे और एम्स भोपाल की टीम तथा नेत्रदानकर्ताओं के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। आज वे समाज में नेत्रदान की अलख जगा रहे हैं। 72 वर्षीय मोहन सिंह राजपूत, जो पिछले 10 वर्षों से दृष्टिहीन थे, को भी एम्स भोपाल में पुतली प्रत्यारोपण से नई जिंदगी मिली। इसी क्रम में, 52 वर्षीय उमा बाई, जिनकी आंख गन्ने की कटाई के दौरान चोट लगने से क्षतिग्रस्त हो गई थी, का भी सफल प्रत्यारोपण किया गया। एक वर्ष से अंधकार में जी रहीं उमा बाई का जीवन अब फिर से प्रकाशमय हो गया है। इन सभी सफलताओं का श्रेय एम्स भोपाल के नेत्र विभाग के समर्पित डॉक्टरों और नेत्रदान करने वाले लोगों को जाता है। उनकी बदौलत आज कई मरीजों की दुनिया फिर से रोशन हो पाई है। एम्स भोपाल का यह प्रयास मानवता की सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह न केवल चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति का प्रतीक है, बल्कि समाज को नेत्रदान के महत्व को समझने और दूसरों की जिंदगी को प्रकाशमय बनाने की प्रेरणा भी देता है।

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