भोपालमध्य प्रदेशराज्य

एम्स भोपाल में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्क्लेव का सफल आयोजन

भोपाल: 01 सितंबर 2025

एम्स भोपाल ने 29–30 अगस्त 2025 को इंटरनेशनल पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी एसोसिएशन (IPNA) द्वारा अनुमोदित पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी टीचिंग कोर्स और 7वें वार्षिक पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्क्लेव का सफल आयोजन किया। दो दिवसीय इस आयोजन में देशभर से 100 से अधिक प्रतिभागी और 20 ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ शामिल हुए, जो पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें बाल रोग विभागाध्यक्ष ने बताया कि हाल ही में स्थापित नए एम्स संस्थानों में एम्स भोपाल पहला संस्थान है जिसने पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी में डीएम कार्यक्रम शुरू किया है। इस विभाग ने अब तक 1,500 से अधिक हेमोडायलिसिस सत्र, 200 प्लाज्मा एक्सचेंज पूरे किए हैं और एंड-स्टेज किडनी डिजीज से पीड़ित बच्चों के लिए सीएपीडी की शुरुआत भी की है। आईएसपीएन के सचिव ने भारत में पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रशिक्षण को विस्तारित करने की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि वर्तमान में पूरे देश में केवल 13 डीएम सीटें उपलब्ध हैं। वहीं, डीन (अनुसंधान) ने विभाग की वित्त पोषित शोध गतिविधियों में नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की।

कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने युवा चिकित्सकों को आजीवन सीखने की प्रेरणा दी और इस बात पर जोर दिया कि नेफ्रोलॉजी जैसी पीडियाट्रिक सुपरस्पेशियलिटी बच्चों के स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अपने मुख्य संबोधन में आयोजन सचिव ने यह उल्लेख किया कि एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है, जहाँ इसकी मृत्यु दर 28 प्रतिशत है जबकि विकसित देशों में यह केवल 7 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य कारण देर से निदान, डायलिसिस की सीमित उपलब्धता और संक्रमण की उच्च दर है। साथ ही यह भी रेखांकित किया कि विकसित देशों में भी 40 प्रतिशत एकेआई रोगियों को अपर्याप्त देखभाल मिलती है, जिससे ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों का महत्व और बढ़ जाता है।

वैज्ञानिक सत्रों में रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी और पीओकस (POCUS) पर व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा हालिया प्रगति पर सीएमई शामिल रहे। कनाडा से ऑनलाइन उद्बोधन देते हुए डॉ. मार्टिन बिट्ज़न ने घोषणा की कि एटिपिकल एचयूएस (HUS) के लिए जीवनरक्षक दवा एकुलिज़ुमैब अब शीघ्र ही भारत में उपलब्ध होगी। उन्होंने एम्स भोपाल को इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (ISN) द्वारा प्रदत्त प्रतिष्ठित इंटरनेशनल श्रायर अवार्ड प्राप्त करने पर बधाई भी दी, जो छह वर्षीय ISN सिस्टर रीनल सेंटर्स प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद एम्स भोपाल के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उभरने की पहचान है। कॉन्क्लेव का समापन श्रेष्ठ शोधपत्र पुरस्कार से हुआ, जो डॉ. सोनल एवं डॉ. अर्शप्रीत (एम्स भोपाल) और डॉ. बिम्पलेश (एम्स रायबरेली) को प्रदान किया गया। श्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार डॉ. अपर्णा के.वी., डॉ. एकांक्षा और डॉ. स्वातिका को मिला। इस आयोजन को व्यापक सराहना मिली और यह भारत में पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रशिक्षण एवं सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

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