एम्स भोपाल के अध्ययन में गुदा विदर के उपचार में होम्योपैथी की संभावनाओं के संकेत

भोपाल: 28 अगस्त 2025
एम्स भोपाल लगातार ऐसे अनुसंधानों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है जिनका सीधा लाभ मरीजों तक पहुँचता है। हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन ने तीव्र गुदा विदर (Acute Anal Fissure – AF) से पीड़ित मरीजों के लिए उत्साहजनक परिणाम प्रस्तुत किए हैं। यह रोग अत्यधिक पीड़ादायक होता है और अक्सर इसके लिए शल्य चिकित्सा जैसी आक्रामक प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ती है। यह शोध एम्स भोपाल के आयुष (होम्योपैथी) के मेडिकल अधिकारियों और सर्जरी विभाग के संकाय द्वारा किया गया, जिसमें डॉ. आशीष कुमार दीक्षित (आयुष – होम्योपैथी) और डॉ. मूरत सिंह यादव (जनरल सर्जरी) मुख्य अनुसंधानकर्ता रहे। अध्ययन में पियोनिया ऑफिसिनैलिस (पियोनिया ऑफिसिनैलिस) औषधि की उपयोगिता का आकलन किया गया। अध्ययन में 34 ऐसे मरीज शामिल किए गए जिन्हें तीव्र गुदा विदर का निदान किया गया था। इन मरीजों को तीन माह तक मौखिक रूप से पियोनिया ऑफिसिनैलिस औषधि दी गई तथा आहार संबंधी परामर्श भी दिया गया। परिणामों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया – दर्द में लगभग 99% की कमी आई (औसत 9/10 अंक से लगभग 0 तक), मल त्याग के दौरान होने वाला दबाव पूरी तरह समाप्त हो गया और जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। तीन माह के अंत तक 88% मरीजों (34 में से 30) में विदर पूरी तरह ठीक हो गया और कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाया गया।
अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि पियोनिया ऑफिसिनैलिस दवा सहायक रूप से दर्द को कम करने, मल त्याग को आसान बनाने और विदर के उपचार में लाभकारी हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन निष्कर्षों की पुष्टि के लिए और नियंत्रित अध्ययन की आवश्यकता है। अध्ययन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, “यह शोध दर्शाता है कि होम्योपैथी और सर्जरी के बीच सहयोगात्मक कार्य मरीजों की देखभाल के लिए एकीकृत संभावनाओं के नए मार्ग खोल सकता है। हमें आशा है कि ये निष्कर्ष गुदा विदर जैसी पीड़ादायक स्थितियों के सुरक्षित एवं गैर-आक्रामक प्रबंधन विकल्पों की ओर और अधिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करेंगे।”