एम्स भोपाल: विशेषज्ञ पैथोलॉजी सीएमई कार्यक्रमों के माध्यम से चिकित्सा उत्कृष्टता को बढ़ावा

भोपाल: 25 अगस्त 2025
प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर, कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ, एम्स भोपाल के मार्गदर्शन में पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन विभाग द्वारा “सीएमई सह कार्यशाला ऑन रीनल पैथोलॉजी: फ्रॉम पैटर्न्स टू प्रैक्टिस” का आयोजन 23 अगस्त 2025 को किया गया। यह कार्यशाला पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में संकाय सदस्यों की आयोजन टीम द्वारा संपन्न कराई गई। इस वैज्ञानिक कार्यक्रम को विशेष रूप से पैथोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया था। इसमें ग्लोमेरुलर रोगों के निदान के लिए संरचित दृष्टिकोण, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस की पहचान में व्यावहारिक चुनौतियाँ, रीनल ट्रांसप्लांट बायोप्सी के नवीनतम अपडेट तथा हिस्टोपैथोलॉजी और क्लीनिकल निष्कर्षों के समन्वय जैसे विषय शामिल रहे। लाइव स्लाइड व्यूइंग एवं डीआईएफ कार्यशाला इस आयोजन की विशेष आकर्षण रहीं, जिसमें प्रतिभागियों को वास्तविक बायोप्सी मामलों का अनुभव प्राप्त हुआ। पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, एसजीपीजीआई लखनऊ, एम्स नई दिल्ली, जिपमर पुडुचेरी, सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली और श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस रायपुर से आए ख्यातनाम राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इसमें भाग लिया। 70 से अधिक प्रतिभागियों ने इन उपयोगी व्याख्यानों और संवादों से लाभ प्राप्त किया।
इसके उपरांत, 24 अगस्त 2025 को पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन विभाग ने डर्मेटोलॉजी विभाग और डर्मेटोपैथोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से “नेशनल सीएमई ऑन प्रैक्टिकल डर्मेटोपैथोलॉजी” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देशभर से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें कुष्ठ रोग, लीशमैनियासिस, गहरे फंगल संक्रमण और त्वचीय तपेदिक जैसे उष्णकटिबंधीय त्वचा रोगों पर विस्तृत चर्चा हुई। लाइव स्लाइड व्यूइंग सत्र और ई-पोस्टर प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को और समृद्ध बनाया। पोस्टर प्रतियोगिता में 20 रेजिडेंट्स ने भाग लिया, जिनमें से 3 श्रेष्ठ पोस्टरों को पुरस्कृत किया गया। इस सीएमई में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, एम्स दिल्ली, एम्स जोधपुर, एलएन मेडिकल कॉलेज भोपाल और एम्स कल्याणी से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपना योगदान दिया। इन दोनों सीएमई ने प्रतिभागियों को ज्ञानवर्धन, व्यावहारिक अनुभव और शैक्षणिक संवाद का अवसर प्रदान किया। इन आयोजनों ने एक बार फिर यह साबित किया कि एम्स भोपाल चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के क्षेत्र में लगातार नए मानक स्थापित कर रहा है।