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एम्स भोपाल में राष्ट्रीय कार्यशालाएँ: गुर्दा और त्वचा रोगों के बेहतर उपचार की दिशा में बड़ा कदम

भोपाल: 23 अगस्त 2025

एम्स भोपाल के पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन विभाग द्वारा 23 और 24 अगस्त 2025 को दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की सीएमई सह कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य देशभर के चिकित्सकों और विशेषज्ञों को नवीनतम चिकित्सा ज्ञान और कौशल से सशक्त बनाना है, ताकि मरीजों को और अधिक प्रभावी व गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराया जा सके। कार्यशाला का पहला दिन “सीएमई सह कार्यशाला ऑन रीनल पैथोलॉजी: फ्रॉम पैटर्न्स टू प्रैक्टिस” विषय पर केंद्रित होगा, जिसे इंटरनेशनल पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी एसोसिएशन (IPNA) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसमें गुर्दे से संबंधित गंभीर बीमारियों जैसे ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस और रीनल ट्रांसप्लांट बायोप्सी के निदान पर विशेष चर्चा होगी। लाइव स्लाइड व्यूइंग सत्र प्रतिभागियों को वास्तविक बायोप्सी मामलों को समझने का अवसर देगा। इन चर्चाओं का सीधा लाभ मरीजों को मिलेगा, क्योंकि इससे चिकित्सक गंभीर गुर्दा रोगों की पहचान और उपचार और अधिक सटीकता से कर पाएंगे। दूसरे दिन “7वां वार्षिक सीएमई सह कार्यशाला ऑन प्रैक्टिकल डर्माटोपैथोलॉजी” का आयोजन होगा, जो डर्माटोपैथोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया (DSI) के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें उष्णकटिबंधीय त्वचा रोगों और जटिल त्वचा समस्याओं पर विस्तृत चर्चा होगी। विशेषज्ञ डॉक्टर कठिन और चुनौतीपूर्ण डर्माटोसिस मामलों के निदान को सरल और कारगर बनाने की दिशा में अपने अनुभव साझा करेंगे। इस अवसर पर लगभग 20 वैज्ञानिक शोध पत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे। यह कार्यशालाएँ प्रतिभागियों को विशेषज्ञों के अमूल्य अनुभव से जोड़ेंगी और अंततः मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी। एम्स भोपाल की यह पहल स्पष्ट करती है कि यहाँ केवल चिकित्सा सेवाएँ ही नहीं, बल्कि ज्ञान, शोध और प्रशिक्षण का भी उच्चतम स्तर उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे आम नागरिकों को प्रत्यक्ष रूप से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी।

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