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अंग प्रत्यारोपण और उन्नत प्रत्यारोपण सुविधाओं में अग्रणी केंद्र के रूप में उभर रहा है एम्स भोपाल

भोपाल: 13 अगस्त 2025

एम्स भोपाल अंग प्रत्यारोपण और उन्नत प्रत्यारोपण सुविधाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर देश के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में अपनी स्थिति लगातार मजबूत कर रहा है। एम्स भोपाल में वर्तमान में हृदय, किडनी, त्वचा और कॉर्नियल प्रत्यारोपण की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि फेफड़े और यकृत प्रत्यारोपण सेवाएं शुरू करने की तैयारी चल रही है। संस्थान में मस्तिष्क मृत्यु (ब्रेन डेड) घोषित करने के लिए स्पष्ट और पारदर्शी नीति अपनाई जाती है, जो राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण प्रणाली के तहत होती है। इसके लिए चार डॉक्टरों का एक पैनल बनाया जाता है, जो मरीज की दो बार जांच करता है ताकि किसी भी तरह की गलती न हो। ब्रेन डेड की पुष्टि होते ही अंगदान की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी जाती है। अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि दिवंगत अंगदाताओं को सम्मानपूर्वक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया जाएगा। जीवन बचाने और चिकित्सा नवाचार को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ, संस्थान ने प्रत्यारोपण के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण दक्षता और समन्वय का प्रदर्शन किया है, जिससे मध्यप्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के मरीज लाभान्वित हो रहे हैं। एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, एम्स भोपाल ने मध्यप्रदेश में पहली बार सफल हृदय प्रत्यारोपण कर राज्य के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा। यह हृदय जबलपुर में एक मस्तिष्क मृत मरीज से प्राप्त किया गया और एयरलिफ्ट, ग्रीन कॉरिडोर और सटीक टीम वर्क के माध्यम से भोपाल तक लाया गया। यह मील का पत्थर संस्थान की शल्य चिकित्सा उत्कृष्टता, सटीक योजना और रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रमाण है।

 

हृदय प्रत्यारोपण के साथ-साथ, एम्स भोपाल ने किडनी प्रत्यारोपण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। जनवरी 2024 में किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू होने के बाद से संस्थान ने अब तक 12 सफल प्रत्यारोपण किए हैं, जिनमें से तीन मृतक (कैडेवरिक) दाताओं से और शेष जीवित परिजनों से लिए गए हैं। मस्तिष्क मृत्यु के मामलों की तुरंत पहचान के लिए ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग के कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जबकि ‘शोक परामर्श समिति’ परिजनों को करुणा और सहानुभूति के साथ अंगदान के लिए प्रोत्साहित करती है। इन सतत प्रयासों से क्षेत्र में मृतक दाताओं से अंगदान को बढ़ावा मिल रहा है और अंतिम चरण के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को नया जीवन मिल रहा है।

 

एम्स भोपाल ने गंभीर जलन और त्वचा चोट से पीड़ित मरीजों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक 24×7 स्किन बैंक भी स्थापित किया है। बर्न्स एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा संचालित यह सुविधा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली त्वचा ग्राफ्ट के संग्रह, संरक्षण और वितरण को सुनिश्चित करती है। समय पर उपचार प्रदान कर यह स्किन बैंक मरीजों की पीड़ा कम करने, संक्रमण रोकने और जीवनरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

 

इसके अलावा, नेत्र विज्ञान विभाग ने उन्नत शल्य तकनीकों के माध्यम से दान की गई आंखों का उपयोग कई मरीजों के लिए सफलतापूर्वक किया है। हाल ही में एक दाता से प्राप्त आंखों को त्वरित प्रक्रिया के बाद दो मरीजों के कॉर्नियल प्रत्यारोपण में उपयोग किया गया। इन सामूहिक उपलब्धियों के माध्यम से, एम्स भोपाल न केवल विश्वस्तरीय प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान कर रहा है, बल्कि अंग और त्वचा दान के प्रति जन-जागरूकता भी फैला रहा है। अत्याधुनिक तकनीक, विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं और मानवीय दृष्टिकोण को एकीकृत कर, संस्थान मध्य भारत में जीवनरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के रूपांतरण के लिए समर्पित एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में अपनी भूमिका लगातार सशक्त कर रहा है।

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